Sunday, June 19, 2011

ब्रम्हाण्ड की अनंत गहराईयो की ओर : वायेजर १

वायेजर हिलियोशेथ मे

वायेजर हिलियोशेथ मे

वायेजर १ एक सर्वकालिक सबसे सफल अंतरिक्ष अभियान है। १९७७ मे प्रक्षेपित इस अंतरिक्षयान ने बृहस्पति और शनि की यात्रा की थी और ऐसे चित्र भेजे थे जिसकी हमने कभी कल्पना भी नही की थी।बृहस्पति और शनी के बाद यह यान युरेनस और नेपच्युन की कक्षा पार कर गया। (वायेजर २ ने इन दोनो ग्रहो की यात्रा की थी।) इन सभी वर्षो मे सौर वायु इस यान के साथ साथ बहती रही है। सौर वायु परमाणु से छोटे कणो(क्वार्क, इलेक्ट्रान,बोसान इत्यादि) से बनी होती है जो सूर्य से सैकड़ो किलोमिटर प्रति सेकंड की रफ्तार से निकलकर बहते रहते है। ये सौर वायु वायेजर से कहीं अधिक तेज गति से बहती है। लेकिन अब दिसंबर २०१० मे ३३ वर्ष पश्चात १७ अरब किमी दूरी पर एक परिवर्तन आया है। वायेजर १ एक ऐसी जगह पहुंच गया है जहां यह सौर वायु का प्रवाह रूक गया है। अब यह सौर पवन वायेजर की पिठ पर नही है।

तारो के बीच मे जो गैस होती है उसे खगोलविज्ञानी अंतरिक्षिय माध्यम (interstellar medium) कहते है। सौर वायु इस अंतरिक्षिय माध्यम की ओर बहती है तथा इस अंतरिक्षिय माध्यम की गति को मंद करती है। लगभग एक अरब किमी चौड़ा यह क्षेत्र जहां सौर वायु रूक जाती है, सौर मंडल के आसपास एक लगभग गोलाकार कवच के रूप मे रहता है। यह गोलाकार कवच हिलियोस्फियर कहलाता है। हिलियोस्फियर के बाहर एक सीमा तक अंतरिक्षिय माध्यम तथा सौर वायु दोनो का प्रभाव रहता है, इस सीमा को हिलियोपाज कहते है। इस हिलियोस्फियर और हिलियोपाज के बीच का क्षेत्र हिलियोशेथ कहलाता है

वायेजर १ अब हिलियोशेथ क्षेत्र मे पहुंच गया है। तथ्य यह है कि वायजर १ पिछले ६ महिने से हिलियोशेथ मे है; वैज्ञानिको ने जून २०१० मे ही सौर वायु की रफ्तार को ०(शुन्य) तक गीरते देखा था लेकिन इसे जांचने मे थोड़ा समय लगा। वैज्ञानिको को निश्चित करना था कि यह उपकरणो की किसी गलती से तो नही है। वायेजर के आगे अब एक शांत खगोलिय समुद्र है।

यह यान अभी भी ६०,००० किमी/घंटा की गति से सौर मंडल से बाहर की दिशा मे जा रहा है। कुछ वर्षो मे वह हिलियोशेथ को पिछे छोड़ देगा। जब यह होगा तब यह यान वास्तविक अंतरिक्ष व्योम मे होगा , जो कि सितारो के मध्य एक विस्तृत और उजाड़ जगह है। इस समय यह यान मानव निर्मित ऐसी पहली वस्तु है जिसमे सौर मंडल की सीमाओ को लांघते हुये आकाशगंगा की अनंत गहराईयो मे प्रवेश किया है।

कल्पना किजिये, यह यान उस समय प्रक्षेपित किया गया था, जब कम्युटर हर जगह नही थे, मोबाईल फोन नही थे, ना था यह अंतरजाल ! आपका अपना मोबाईल वायेजर मे लगे कम्युटर से कई गुणा बेहतर है। लेकिन इस यान को गति मिली थी इसके राकेट से, बृहस्पति और शनि के गुरुत्वाकर्षण से और अदम्य मानव मन से! और कुछ ही वर्षो बाद यह यान हमारे सौर मंडल के घोंसले को छोड़ चल देगा अपनी अनंत यात्रा मे !