Wednesday, June 22, 2011

क्या भगवान सृष्टि के निर्माणकर्ता हैं

महान वैज्ञानिक स्टीफन हाकिंग्स प्रकाश्य पुस्तक ‘ ग्रैंड डिजाईन ( Grand design ) नें मीडिया का ध्यान आकृष्ट किया है. यह चारों ओर चर्चा में है. सब लोग अपने अपने ढंग से हाकिंग्स के विचारों की व्याख्या कर रहे हैं. हाकिंग्स का कहना है कि सृष्टि के निर्माण में भगवान की कोई भूमिका नहीं है. मेरा यह लेख विज्ञान के प्रकाश में सृष्टि के निर्माण को समझने का एक प्रयास है. विज्ञान भगवान की उपस्थिति की आवश्यकता नहीं समझता है. सृष्टि का निर्माण प्रकृति और विज्ञान के नियमों के अनुसार एक प्रक्रिया के तहत होता है. अगर ईश्वर है तो भी उसका आकार प्रकार हमारी कल्पना के अनुसार मानव जैसा नहीं हो सकता. वह हर प्रकार की कल्पना के परे है. जैसा हमारे यहाँ कहा गया है ईश्वर अनादि और अनंत है. उसकी न तो कोई शुरुआत है और न अंत. मुझे स्टीफन हाकिंग्स की बात तर्क संगत लगती है कि सृष्टि का निर्माण स्वत : एक प्रक्रिया के अंतर्गत होता है. हमारे यहाँ भी तो शिव को ‘ स्वयंभुव ‘ ( या शंभु ) कहा गया है. स्वयंभुव का मतलब है जो स्वयं उत्पन्न होता है. सृष्टि का निर्माण, भगवान् की उपस्थिति / अनुपस्थिति का रहस्योद्घाटन अभी संभव नहीं है. अगर चार महान वैज्ञानिकों स्टीफन हाकिंग्स, अलबर्ट आइन्स्टीन, इलिया प्रिगोगीन ( Ilya Prigogine ) और चार्ल्स डार्विन के सद्धांतों पर विचार किया जाय तो एक रास्ता नज़र आता है. विज्ञान का रास्ता उचित, पाखण्ड और अंधविश्वास रहित और तर्कसंगत लगता है. आइन्स्टाइन के अनुसार किसी पदार्थ की मात्रा या मास ( Mass ) E = mc2 के अनुसार उर्जा में परिवर्तित होती है. लेकिन उर्जा पदार्थ में परिवर्तित होता है या नहीं यह एक रहस्य बना हुआ है. इस प्रश्न का उत्तर शायद स्टीफन हाकिंग्स के ‘ ब्लैक होल ‘ सिद्धांत में छिपा हुआ है. इस सिद्धांत के अनुसार ‘ ब्लैक होल ‘ उर्जा का सबसे सघन स्वरुप है. इसके बीच से सूर्य की किरण भी नहीं गुजर सकती. इसमें अपार गुरुत्वाकर्षण शक्ति होती है. यह किसी भी चीज़ को यहाँ तक की सूर्य की किरण को भी खींचकर अपने में समाहित कर लेता है. फिर एक ‘ क्रिटिकल स्टेज ‘ पहुंचने पर ‘ ब्लैक होल ‘ ‘ बिग बैंग ‘ से विस्फोट करता है. इस विस्फोट से ‘ ब्लैक होल ‘ की उर्जा पदार्थ ( Matter ) बनकर बिखर जाती है शायद इस प्रकार उर्जा से पदार्थ का निर्माण होता है. इस प्रकार ब्रम्हांड में ब्लैक होल का निर्माण और विस्फोट लगातार होता रहता है. इस विस्फोट से अनंत गैलेक्सियों का निर्माण होता है. हर गैलेक्सी का अपना एक सूर्य होता है. कुछ सूर्य से छिटके हुए और कुछ बिग बैंग के दौरान निर्मित पदार्थ के टुकडे गुरुत्वाकर्षण बल के कारण केन्द्रीय सूर्य के चारों और अपनी कक्षा में चक्कर लगाते हैं. ये टुकडे ( Fragments ) अरबों-खरबों वर्ष में ठंढा होने पर ‘ गैलेक्सी ‘ और ग्रहों का रूप ले लेते हैं. ब्रम्हांड में गैलेक्सियों का निर्माण और उनका ‘ ब्लैक होल ‘ में परिवर्तन, सतत चलने वाली प्रक्रिया है. हाकिंग्स के अनुसार हमारी गैलेक्सी जिसे ‘ मिल्की वे ‘ ( Milky Way ) कहा जाता है, का निर्माण 3 मिनट में हुआ था गुरुत्वार्षण बल, उर्जा, समय या काल तथा पदार्थ ( Matter ) में क्या सम्बन्ध है, यह अभी पूरी तरह समझा नहीं जा सका है. ग्रहों पर जीवन के उपयुक्त परिस्थितियाँ उत्पन्न होने पर सर्व प्रथम वहाँ एक सेल का जीव उत्पन्न होता है. चार्ल्स डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत के अनुसार ‘ म्युटेशन ‘ ( Mutation )के द्वारा जीव का विकास होता है. जीवन संघर्ष ( Struggle for existence ) में विजयी होने वाले शक्तिशाली जीव ( Survival of fittest and strongest ) ही अस्तित्व में रह पाते हैं. इलिया प्रिगोगीन का कहना है कि सृष्टि की ‘ एंट्रोपी ‘ (Entropy ) यानी अराजकता या ‘ डिसऑर्डर ‘ ( Disorder ) में निरंतर वृद्धि होती रहती है. एंट्रापी डिसऑर्डर को मापने का जरिया है. है. इस प्रक्रिया में ‘ फ्लक्चुएशन ‘ ( Fluctuation ) होने से ‘ ऑर्डर ‘ की उत्पत्ति होती है. इस प्रकार निर्माण और विनाश और फिर पुनर्निर्माण एक प्रक्रिया के अंतर्गत सतत चलते रहते हैं. इस बात की पूर्ण संभावना है कि ब्रम्हांड में कहीं पर किसी गैलेक्सी का निर्माण हो रहा हो और उसके किसी ग्रह पर जीवन विकसित हो रहा हो. यह सारा परिदृश्य हिन्दू विचार के करीब है कि सृष्टि का निर्माण और विनाश और फिर पुनर्निर्माण एक ‘ साइक्लिक ‘ ( Cyclic ) प्रक्रिया के अंतर्गत सतत चलता रहता है. इसका न कोई आदि है और न अंत है. यह अनादि और अनन्त है. इसमें किसी मानवाकार भगवान् के लिए कोई स्थान नज़र नहीं आता है भगवान् अगर है तो उसका असली स्वरुप क्या है, यह रहस्य के गर्त में है. भगवान है कि नहीं यह प्रश्न अनुत्तरित रह जाता है. इसका उत्तर भगवान और केवल भगवान के ही पास है. जब तक इस बात का फैसला नहीं हो जाता तब तक हमें अपनी आस्था पर ही भरोसा करना पड़ेगा. भगवान जी से यह विनम्र निवेदन है कि वे कभी साक्षात प्रकट होकर अपने अस्तित्व का एहसास कराएं.