Saturday, June 18, 2011

ब्रह्माण्ड के खुलते रहस्य 11: गुरुत्वाकर्षण का लैंस

जिस तरह कांच के लैंस किरणों को केन्दि`त या विकेन्दि`त कर सकते हैं, उसी तरह अत्यधिक द्रव्यमान वाले पिण्ड अथवा पिण्डों का गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र प्रकाश के लैंस की तरह कार्य कर सकता है, आइन्स्टाइन ने अपने व्यापक सापेक्षवाद में ऐसी भविष्यवाणी की थी। जिसके फलस्वरूप कोई मन्दाकिनी अधिक प्रकाशवान दिख सकती है, तथा एक पिण्ड के अनेक बिम्ब दिख सकते हैं।

‘नेचर’ पत्रिका के 18/25 दिसम्बर, 2003 के अंक में एक प्रपत्र प्रकाशित हुआ है। इसमें स्लोन तन्त्र (एस डी एस एस) की टीम ने रिपोर्ट दी है कि चार निकट दिखते हुए क्वेसार वास्तव में गुरुत्वाकर्षण लैंस के द्वारा एक ही क्वेसार के चार बिम्ब हैं। सामान्यतया क्वेसारों के बीच पाई जाने वाली दूरी अब तक अधिकतम 7 आर्क सैकैण्ड पाई गई है। इन चारों के बीच अधिकतम दूरी 14 आर्क सैकैण्ड है। इतनी अधिक दूरी के लिये जितना द्रव्य–घनत्व चाहिये वह दृश्य पदार्थ से नहीं बनता। अतएव वहां पर अदृश्य पदार्थ होना चाहिये जिससे इतना शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण लैंस बना है।और उसे ‘शीतल अदृश्य पदार्थ‘ होना चाहिये जिसका घनत्व ‘उष्ण’ अदृश्य पदार्थ से कहीं अधिक होता है।

दिसम्बर 2003 तक अस्सी से अधिक गुरुत्वाकषीर् लैंस–क्वेसार खोजे जा चुके हैं। इस तरह के बड़े गुरुत्वाकर्षण लैन्स कम संख्या में अवश्य हैं किन्तु सिद्धान्त के अनुरूप ही अपेक्षित संख्या में हैं, और मह<वपूर्ण हैं क्योंकि इनसे दृश्य तथा अदृश्य पदार्थों के संबन्धों की खोज में सहायता मिलती है।

पदार्थों को जो दूरदर्शी उपकरण देखते हैं वे विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम के केवल प्रकाश पट्ट का ही उपयोग नहीं करते, वरन रेडियो तरंगें, सूक्ष्म तरंगें, अवरक्त किरणें, परावैंगनी, एक्स, गामा किरणों आदि पूरे वर्णक्रम का उपयोग करते हैं। जब वैज्ञानिक ‘अदृश्य’ शब्द का उपयोग करते हैं तब वे इन सभी माध्यमों के लिये ‘अदृश्य’ शब्द का उपयोग करते हैं। पदार्थ वह है जो उपरोक्त उपकरणों की पकड़ के भीतर है। इसलिये ‘अदृश्य पदार्थ‘ पद के दोनों शब्दों में अन्तर्विरोध है एक तो पदार्थ है और फिर अदृश्य! इसका समन्वय आज ब्रह्माण्डिकी के लिये एक सबसे बड़ी चुनौती है। यद्यपि यह भी सत्य है कि दृश्य जगत की कार्यविधियां, यथा तारों, मन्दाकिनियों ‘ब्लैक होल’ आदि के निर्माण, मूलभूत कणों के गुण इत्यादि वैज्ञानिकों को काफी सीमा तक ज्ञात हो चुके हैं। किन्तु दृश्य जगत ब्रह्माण्ड का मात्र 4 प्रतिशत है।