Saturday, June 18, 2011

प्रतिपदार्थ(Antimatter) के उपयोग : ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 11

प्रति पदार्थ यह मानव जाति के लिए एक वरदान साबित हो सकता है। वर्तमान मे यह चिकित्सा जैसे क्षेत्रो मे प्रयोग किया जा रहा है, तथा भविष्य मे इसे ईंधन , अंतरिक्ष यात्रा के लिए रॉकेट ईंधन तथा विनाशक हथियारों के निर्माण के लिए प्रयोग किया जा सकता है।

चिकित्सा

प्रतिपदार्थ यह वर्तमान चिकित्सा पद्धति मे प्रयोग मे लिया जा रहा है। पाजीट्रान एमीशन टोमोग्राफी(PET) तकनीक पाजीट्रान का प्रयोग कर शरीर के आंतरिक भागो का चित्र लेने मे सक्षम है।

इंधन

जैसा कि हम जानते है पदार्थ और प्रतिपदार्थ एक दूसरे से टकराकर ऊर्जा मे परिवर्तित हो जाते है। इस टकराव से निर्मित ऊर्जा की मात्रा की गणना आइंस्टाइन के प्रसिद्ध समीकरण E=mc2 से की जा सकती है।

प्रतिपदार्थ द्वारा प्रति इकाई द्रव्यमान से निर्मित ऊर्जा 9×1016 J/Kg है जो रासायनिक ऊर्जा से 10,000,000,000 गुणा ज्यादा है। उदाहरण के लिए टी एन टी विस्फोटक द्वारा प्रति इकाइ द्रव्यमान से निर्मित ऊर्जा 4.2×106 J/kg होती है। प्रतिपदार्थ द्वारा निर्मित ऊर्जा नाभिकिय विखण्डन से 10,000 गुणा ज्यादा तथा नाभिकिय संलयन से 100 गुणा ज्यादा होती है।

प्रति पदार्थ से निर्मित ऊर्जा इतनी ज्यादा कैसे ?

सबसे पहले हमे एक मूलभूत नियम जानना होगा जिसे ऊर्जा की अविनाशीता का नियम(Law of conservation of energy) अथवा उष्मागतिकी का प्रथम नियम(First Law of Thermodynamics) जाता है।

ऊर्जा का निर्माण अथवा विनाश असंभव है। केवल एक तरह की ऊर्जा का परिवर्तन दूसरी तरह की ऊर्जा मे किया जा सकता है।

जब हम कोयला, तेल जलाते है तब ऊर्जा रासायनिक बंधनों से मुक्त होती है, कुछ ऊर्जा नये रासायनिक बंधन बनाती है शेष ऊर्जा उष्मा के रूप मे मुक्त होती है जिसका हम उपभोग करते है। नाभिकिय संलयन या विखण्डन मे पदार्थ की कुछ मात्रा ही ऊर्जा मे परिवर्तित हो जाती है जिसकी गणना हम E=mc2 कर सकते है। इस कारण यह ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा की तुलना से कई गुणा ज्यादा मात्रा मे होती है लेकिन यह कुल पदार्थ के 1% से भी कम होती है। प्रतिपदार्थ और पदार्थ के टकराव मे कुल मात्रा का 100% भाग ऊर्जा मे परिवर्तन होता है जिससे उत्पन्न ऊर्जा की मात्रा नाभिकिय संलयन/विखंडन से कई गुणा ज्यादा होती है।(तथ्य यह है कि कुल पदार्थ/प्रति पदार्थ का 50% भाग ही ऊर्जा मे परिवर्तन होता है शेष भाग न्युट्रीनो के रूप मे मुक्त होता है।)

प्रतिपदार्थ प्रणोदित राकेट

प्रतिपदार्थ प्रणोदित राकेट" src="http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/3/35/Antimatter_Rocket.jpg/200px-Antimatter_Rocket.jpg" alt="प्रतिपदार्थ प्रणोदित राकेट" width="200" height="160">

प्रतिपदार्थ प्रणोदित राकेट

प्रति पदार्थ का प्रयोग अंतरिक्ष यात्रा के लिए राकेट की प्रणोदन प्रणाली मे किया जा सकता है। स्टार ट्रेक का अंतरिक्ष यान “एन्टरप्राइज”, प्रतिपदार्थ प्रणोदन प्रणाली का प्रयोग करता है। प्रति पदार्थ चालित प्रणोदन प्रणाली के लिए बहुत से डीजायन बनाये गये है। वर्तमान मे यह सभी राकेट परिकल्पित है क्योंकि हमारे पास उपयुक्त मात्रा मे प्रतिपदार्थ की उपलब्धता नही है। इस प्रणोदन प्रणाली का लाभ यह है कि प्रतिपदार्थ की सूक्ष्म मात्रा के प्रयोग से अत्याधिक ऊर्जा घनत्व तथा प्रणोदन की उत्पत्ति होती है, जिससे किसी भी अन्य राकेट से कहीं ज्यादा सक्षम राकेट बनाया जा सकता है।
प्रतिपदार्थ राकेट को तीन वर्गो मे बांटा जा सकता है:

  1. प्रतिपदार्थ का राकेट के प्रणोदन के लिए सीधे प्रयोग करने वाले।
  2. प्रति पदार्थ से प्राप्त ऊर्जा से किसी द्रव पदार्थ को गर्म कर प्रणोदन उत्पन्न करने वाले।
  3. प्रति पदार्थ से प्राप्त ऊर्जा से किसी द्रव पदार्थ को गर्म कर विद्युत उत्पन्न कर , विद्युत से प्रणोदन उत्पन्न करने वाले।
प्रतिपदार्थ के  प्रयोग मे समस्याएं

१. अव्यवहारिकता

CERN के अनुसार प्रति-पदार्थ का आदर्श इंधन के रूप मे प्रयोग व्यवहारिक नही है, क्योंकि प्रतिपदार्थ के निर्माण मे जितनी ऊर्जा लगती है वह उसके पदार्थ के साथ टकराकर निर्मित ऊर्जा से अत्यंत कम होती है। इस प्रक्रिया मे उत्पन्न ऊर्जा प्रयुक्त ऊर्जा का दस अरबवां (10−10) भाग ही होती है। प्रति पदार्थ के निर्माण मे प्रयुक्त अधिकतर ऊर्जा उष्मा के रूप मे व्यर्थ हो जाती है।
वहीं प्रतिपदार्थ से निर्मित ऊर्जा मे 50% भाग न्युट्रीनो के रूप मे व्यर्थ होता है। ऊर्जा के अविनाशीता के नियमो के अनुसार कोई भी प्रक्रिया 100 % कुशल नही हो सकती, कुछ ना कुछ व्यर्थ ऊर्जा(जैसे न्युट्रीनो) होगी ही। सादे शब्दो मे आमदनी अठन्नी खर्चा रूपैया !

प्रति पदार्थ को ऊर्जा के रूप मे प्रयुक्त किया जा सकता है यदि हम किसी तरीके से उसे अंतरिक्ष से समेट सकें। प्रति पदार्थ अंतरिक्ष मे काफी विरल मात्रा मे फैला हुआ है। शायद भविष्य मे हम किसी अंतरिक्ष के किसी कोने मे प्रतिपदार्थे के श्रोत खोज सकें।

२. भंडारण

पेनींग ट्रैप(प्रतिपदार्थ के भंडारण का एक तरीका)" src="http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/b/b6/Penning_Trap.svg/220px-Penning_Trap.svg.png" alt="पेनींग ट्रैप(प्रतिपदार्थ के भंडारण का एक तरीका)" width="220" height="160">

पेनींग ट्रैप(प्रतिपदार्थ के भंडारण का एक तरीका)

प्रतिपदार्थ को रखा किसमे जाये ? पदार्थ के संपर्क मे आने के बाद वह उसके साथ स्वयं को भी नष्ट कर लेता है। हाल के वर्षो मे प्रतिपदार्थ के भंडारण के लिए कुछ सफलता मिली है। CERN के वैज्ञानिको ने प्रति हाइड्रोजन के 300 परमाणुओ को 1000 सेकंड तक भडांर कर रखा है। लगभग 16 मिनट ज्यादा नही लगते है लेकिन इसके पहले यह समय मीलीसेकंडो मे था।

प्रति पदार्थ के भंडारण के लिए पेनींग ट्रैप(Penning Trap) तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इस तकनिक मे एक मजबूत अक्षीय चुंबकिय क्षेत्र के प्रयोग से प्रतिपदार्थ के कणो को क्षैतिज दिशा मेसे तथा चतुध्रुविय विद्युत क्षेत्र से अक्षीय दिशा मे बांधा जा सकता है। स्थायी विद्युत क्षेत्र के निर्माण के लीए तीन विद्युताग्र (Electrode): एक कुंडली तथा दो ढक्कनो का प्रयोग होता है। किसी आदर्श पेनीन्ग ट्रैप कुंडली और ढक्कन हायपरबोलाइड के जैसे होते है। धनात्मक(ऋणात्मल) आयन को रोकने के लिए ढक्कन विद्युताग्रो को धनात्मक(ऋणात्मक) आवेश पर रखा जाता है तथा कुंडली को ॠणात्मक(धनात्मक) आवेश पर रखा जाता है। पेनींग ट्रैप के मध्य मे उत्पन्न विभव(Potential) आयनो को अक्षीय दिशा मे बांध देता है, वहीं कुंडली द्वारा उत्पन्न चुंबकिय क्षेत्र उसे क्षैतिज दिशा मे बांध देता है।

३.उचीं किमंत

वैज्ञानिको के अनुसार प्रतिपदार्थ का निर्माण सबसे महंगा है। 2006 के गेराल्ड स्मिथ के अनुमान के अनुसार 10 मिलीग्राम पाजीट्रान के निर्माण के लिए 2500 लाख डालर अर्थात 25 अरब डालर प्रतिग्राम की आवश्यकता होगी। 1999 के नासा के अनुमान के अनुसार प्रतिहायड्रोजन के एक ग्राम के निर्माण के लिए 62.5 ट्रीलीयन डालर की आवश्यकता होगी। प्रतिपदार्थ के निर्माण की लागत इतनी ज्यादा होने के पिछे एक कारण यह भी है कि प्रति पदार्थ का निर्माण कण त्वरको(Particle Accelerator ) मे होता है और वे प्रतिपदार्थ के निर्माण के लिए नही बनाये गये है। उन्हे वैज्ञानिक प्रयोगो के लिए बनाया गया है। यदि प्रतिपदार्थ के निर्माण के लिए उपकरण बनाये जाये, तो यह लागत कुछ कम होगी।

नासा के अनुसार चुंबकीय जाल की सहायता से पृथ्वी के वान एलन पट्टे मे प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला प्रतिपदार्थ समेटा जा सकता है। इसी तह से इसे बृहस्पति के जैसे गैस महाकाय के चुंबकिय पट्टो से समेटा जा सकता है। यदि हम ऐसा कर पाये तो प्रतिपदार्थ की प्रतिग्राम लागत मे कमी आयेगी और उसका हम प्रयोग कर पायेंगे।