Sunday, June 19, 2011

वायेजर : सूदूर अंतरिक्ष का एकाकी यात्री

वायेजर कार्यक्रम मे दो मानवरहित वैज्ञानिक शोध यान वायेजर १ और वायेजर २ शामील है। इन दोनो अंतरिक्ष यानो १९७७ मे १९७० के दशक के अंत की अनुकूल ग्रहीय दशा का लाभ लेने के लिये प्रक्षेपित किया गया था। इन दोनो यानो को तो ऐसे गुरू और शनि के अध्यन के लिये भेजा गया था, लेकिन दोनो यान सौर मंडल के बाहरी हिस्से के अध्यन का अभियान जारी रखे हुये है। ये अपने अभियान मे अग्रसर है और भविष्य मे सौर मंडल से बाहर चले जायेंगे।

वायेजर यान संरचना

वायेजर यान संरचना

वायेजर का पथ

वायेजर का पथ


दोनो अभियानो ने गैस के महाकाय पिंडो (गुरू, शनि, युरेनस, नेपच्युन) के बारे बडी़ मात्रा मे आंकड़े जमा किये है। इस आंकड़ो मे से काफी ज्यादा सुचनाये इसके पहले अज्ञात थी। इसके अलावा इन यानो का पथ इस तरह से अभिकल्पित किया गया है कि यह प्लुटो के बाद के किसी कल्पित ग्रह का पता लगा सके।
वायेजर असल मे १९६० के दशक के अंत मे और १९७० के दशक की शुरुवात मे बनाये गये महा सैर(Grand Tour) नामके एक कार्यक्रम का संक्षिप्त रूप है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत दो शोध यानो को बाहरी ग्रहो के पास से गुजरना था, लेकिन बजट की कमी से इस कार्यक्रम को छोटा कर दिया गया। लेकिन वायेजर कार्यक्रम ने इस महासैर कार्यक्रम के प्लुटो को छोड़कर बाकि सभी उद्देश्यो को पूरा किया। प्लुटो उस समय एक ग्रह माना जाता था।
१९९० के दशक मे वायेजर १ पायोनीयर १० को पिछे छोड़कर अंतरिक्ष मे सबसे दूरी पर स्थित मानव निर्मित पिंड बन गया था। वायेजर १ यह रिकार्ड अगले कई दशको तक बनाये रखेगा। हाल ही मे छोड़ा गया न्यु हारीजोंस यान इसे पिछे नही छोड़ पायेगा क्योंकि उसकी गति वायेजर १ से काम है। वायेजर १ और पायोनीयर १० दोनो मानव निर्मित एक दूसरे से सबसे ज्यादा दूरी पर स्थित पिंड भी है क्योंकि ये सूर्य की दो विपरित दिशाओ मे यात्रा कर रहे हैं।

वायेजर यान

वायेजर यान


इन दोनो यानो से एक नियमित अंतराल के बाद संपर्क साधा जाता रहा है। यानो के रेडीयोधर्मिक उर्जा श्रोत अभी भी बिजली निर्माण कर रहे है। आशा है कि ये यान सौरमंडल के सबसे बाहरी हिस्से हिलीयोपास की खोज कर पाने मे सफल होंगे। २००३ के अंत मे वायेजर १ ने ऐसे संकेत भेजने शुरू कर दिये थे जिससे यह प्रतित होता है कि उसने टर्मिनेशन शाक को पार कर लिया है। लेकिन इस खोज पर विवाद है। अब यह माना जाता है कि वायेजर १ ने टर्मीनेशन शाक को दिसंबर २००४ मे पार किया है।

वायेजर यान हेलीयोसीथ हिस्से मे प्रवेश करते हुये

वायेजर यान हेलीयोसीथ हिस्से मे प्रवेश करते हुये


वायेजर यानो की संरचना
ये यान तीन अक्षो वाले यान है जो पृथ्वी की तरफ अपने एंटीना को रखने के लिये खगोलिय निर्देशीत अक्ष नियंत्रण प्रणाली का उपयोग करते है। मुख्य अभियान के वैज्ञानिक यंत्रो की संख्या १० थी जिसमे से ५ अभी भी काम कर रहे है।
फ़्लाईट डाटा सबसीस्टम (FDS) और ८ ट्रेकोवाला डीजीटल टेप रिकार्डर(DTR) आकंड़े जमा करने का कार्य कर रहे हैं। FDS यह हर उपकरण को निर्देश देने और नियंत्रण का कार्य करता है। वह इन उपकरणो से आंकड़े प्राप्त कर पृथ्वी की ओर प्रसारण के लिये तैयार करता है। DTR इन आंकड़ो को प्लाज्मा वेव सबसीस्टम (PWS) के रूप मे रीकार्ड करता है जिसे हर छः महीने बाद पृथ्वी पर भेजा जाता है।
तस्वीरे लेने के लिये इन यानो मे दो कैमरे लगे हुये है। इन कैमरो मे चक्र के आकार मे ८ फिल्टर लगे हुये है। एक कैमरा का लेंस २०० मीमी का है जबकि दूसरे कैमरे का लेंस १५०० मीमी का है। ये कैमरे बाकि यंत्रो की तरह स्वचालित नही है, इन्हे FDS द्वारा प्राप्त आंकड़ो के आधार पर एक कम्प्युटर संचालित करता है।

यान के नियंत्रण के लिये एक कम्प्युटर लगा हुआ है जिसे कम्प्युतर कमांड सबसीस्टम (CCS) कहते है। CCS कुछ निश्चीत प्रक्रियाये जैसे निर्देशो का पालन, पथ प्रदर्शन , एंटीना की स्थिती बदलने जैसे कार्य करता है।

बिजली निर्माण के लिये यान मे दो रेडीयोधर्मिक विद्युत निर्माण ईकाईयां लगी हुयी है जो की प्लुटोनियम का प्रयोग करती है। यान के प्रक्षेपण के समय ये ३० वोल्ट की ४०० वाट उर्जा का उत्पादन करते थे। अगस्त २००६ मे वायजर १ की उर्जा निर्माण क्षमता गीरकर २९० वाट और वायेजर २ की क्षमता गीरकर २९१ वाट रह गयी है।

बिजली निर्माण की क्षमता मे लगातार होती जा रही कमी के कारण इन यानो के उपकरणो को एक के बाद एक बंद करना पढा़ है। ऐसी उम्मीद है कि २०२० तक सभी उपकरण बंद हो जायेंगे। लेकिन इससे यान रूकेंगे नही, पृथ्वी पर आंकड़े भेजना बंद कर देंगे लेकिन यान अपनी मृत अवस्था मे अपनी अनंत यात्रा जारी रखेंगे।

विभिन्न यानो की वर्तमान स्थिती(अप्रेल २००७)

विभिन्न यानो की वर्तमान स्थिती(अप्रेल २००७)


वायजर १ और वायेजर २ मे एक सोने का रिकार्ड रखा हुआ है जो पृथ्वी की तस्वीरे और आवाज रखे है। इसके साथे मे रीकार्ड को बजाने के लिये संकेत भी बनाये हुयी है। पृथ्वी की दिशा दर्शाता हुआ एक मानचित्र भी रखा हुआ है। यह किसी अन्य बुद्धीमान सभ्यता द्वारा इस यान को पाने कि स्थिती मे उनके लिये पृथ्वी से मित्रता का संदेश है।