Wednesday, July 6, 2011

श्याम विवर के विचित्र गुण:ब्रह्माण्ड की संरचना भाग 13


श्याम विवर कैसे दिखता है ?
कल्पना कीजिए की आप किसी श्याम विवर की सुरक्षित दूरी पर(घटना क्षितीज Event-Horizon से बाहर) परिक्रमा कर रहे है। आप को आकाश कैसा दिखायी देगा ? साधारणतः आपको पृष्ठभूमी के तारे निरंतर खिसकते दिखायी देंगे, यह आपकी अपनी कक्षिय गति के कारण है। लेकिन किसी श्याम विवर के पास गुरुत्वाकर्षण दृश्य को अत्यधिक रूप से परिवर्तित कर देता है।
श्याम विवर का परिकल्पित चित्र
श्याम विवर का परिकल्पित चित्र
श्याम विवर के समीप से गुजरने वाली प्रकाश किरणे उसके गुरुत्व की चपेट मे आ जाती है और निकल नही पाती है। इस कारण श्याम विवर के आसपास का क्षेत्र एक काली चकती(Dark Disk) के जैसा दिखायी देता है। श्याम विवर से थोड़ी दूरी पर से गुजरने वाली प्रकाश किरणे गुरुत्व की चपेट मे तो नही आती लेकिन उसके प्रभाव से उनके पथ मे वक्रता आ जाती है। इस प्रभाव के कारण श्याम विवर की पृष्ठभूमि मे तारामंडल विकृत नजर आता है, मनोरंजनगृहों के दर्पणो की तरह। इस प्रभाव से कुछ तारो की एकाधिक छवी दिखायी देती है। आप एक तारे की दो छवियाँ श्याम विवर के दो विपरीत बाजूओं मे देख सकते है क्योंकि श्याम विवर के दोनो ओर से जाने वाली प्रकाश किरणे आपकी ओर मुड़ गयी है। कुछ तारो की कभी कभी असंख्य छवियाँ बन जाती है क्योंकि उनसे निकलने वाली प्रकाश किरणे श्याम विवर के चारो ओर से आपकी ओर मोड़ दी जाती है।
चारो नीले बिंदू एक ही क्वासर के चित्र है,इन क्वासर के सामने की एक आकाशगंगा के गुरुत्व से इस क्वासर की चार छवियाँ बन रही है।
चारो नीले बिंदू एक ही क्वासर के चित्र है,इन क्वासर के सामने की एक आकाशगंगा के गुरुत्व से इस क्वासर की चार छवियाँ बन रही है।
आइंस्टाइन के साधारण सापेक्षतावाद के नियम के अनुसार हर पिंड प्रकाश किरणो को अपने गुरुत्व से वक्र करता है। इसे गुरुत्विय लेंसींग कहते है। हमारे सूर्य के लिए यह प्रभाव कमजोर है लेकिन उसे मापा जा चूका है। ब्रह्माण्ड के बड़े ज्यादा भारी और दूरस्थ पिण्डो से ज्यादा मजबूत गुरुत्विय लेंसींग प्रभाव देखा गया है। हालांकि यह प्रभाव अभी तक श्याम विवर के पास देखा नही जा सका है या काली चकती का चित्र नही लिया जा सका है। लेकिन यह निकट भविष्य मे संभव हो सकता है।

दो श्याम विवरो के टकराने पर क्या होता है?
दो श्याम विवर टकराने पर विशाल गुरुत्विय तरंग उत्पन्न करेंगे।
दो श्याम विवर टकराने पर विशाल गुरुत्विय तरंग उत्पन्न करेंगे।
दो श्याम विवरो का टकराना संभव है। जब वे एक दूसरे के इतना समीप आ जायें कि दोनो एक दूसरे के गुरुत्व से नही बच पाये तब उन दोनो श्याम विवरो के विलय से एक महाकाय श्याम विवर बनता है। लेकिन ऐसी कोई भी घटना अत्यंत विनाशकारी होती है। शक्तिशाली कम्प्युटरो का प्रयोग करते हुये भी हम इस घटना को पूरी तरह से समझ नही पाये है। लेकिन हम इतना जानते है कि श्याम विवरो के विलय से अत्यधिक ऊर्जा उत्पन्न होगी तथा यह ब्रह्माण्डीय काल-अंतराल की चादर((Space Time Fabric) मे विशालकाय गुरुत्विय तरंगे(Gravitational Wave) उत्पन्न करेगी।
अभी तक इस घटना को किसी ने देखा नही है। लेकिन ब्रह्माण्ड मे ढेर सारे श्याम विवर है और यह मानना गलत नही है कि वे टकराते भी होगे। हम जानते है कि महाकाय श्याम विवरो के केन्द्र वाली आकाशगंगायें एक दूसरे के खतरनाक रूप से समीप आ जाती है। सैद्धांतिक रूप से ये दोनो श्याम विवर टकराने से पूर्व दोनो एक दूसरे के आसपास एक स्पाइरल मे परिक्रमा करेंगे, इस विनाशकारी ब्रह्मांडीय तांडव की परिणती दोनो श्याम विवर के विलय मे होगी।
सूर्य की परिक्रमा करता हुये प्रस्तावित लीसा के तीन उपग्रह जो लेसर किरणो के प्रयोग से गुरुत्विय तरंगो की जांच करेंगे।
सूर्य की परिक्रमा करता हुये प्रस्तावित लीसा के तीन उपग्रह जो लेसर किरणो के प्रयोग से गुरुत्विय तरंगो की जांच करेंगे।
गुरुत्विय तरंगो का सीधा निरीक्षण अभी तक नही हुआ है लेकिन वह आइंस्टाइन के साधारण सापेक्षतावाद का आधारभूत अनुमान है। इन तरंगो का निरीक्षण गुरुत्वाकर्षण के बारे मे हमारे ज्ञान को एक आधार देगा। यह निरीक्षण श्याम विवर की भौतिकी के बारे मे एक महत्वपूर्ण जानकारी देगा। गुरुत्विय तरंगो के निरीक्षण के लिये महाकाय उपकरण बनाये गये है। इनसे ज्यादा शक्तिशाली उपकरण निर्माणाधिन है। जैसे ही गुरुत्विय तंरगो का निरिक्षण सफल होगा, भौतिकी जगत मे एक भूचाल आयेगा।
श्याम विवर के अंदर क्या होता है ?
हम लोग श्याम विवर को घटना क्षितीज(event horizon) तक ही देख सकते है, उसके पश्चात क्या है वह देखा नही जा सकता क्योंकि कोई प्रकाश या पदार्थ हम तक नही पहुंच सकता। यदि हमने कोई जांच यान भी भेजा तब वह भी हमसे संपर्क नही कर पायेगा। वह जो भी संदेश(प्रकाश/क्ष किरण/रेडीओ तरंग) भेजना चाहेगा, वह श्याम विवर द्वारा ही अवशोषीत कर लिया जायेगा।
वर्तमान भौतिकी के सिद्धांतो के अनुसार श्याम विवर मे पदार्थ एक बिंदु के रूप मे इकठ्ठा होते रहता है, लेकिन हम नही जानते कि यह एक बिंदु नुमा केन्द्रिय सींगुलैरीटी क्या कार्य करती है? इसे सही तरह से समझने के लिये क्वांटम भौतिकी तथा गुरुत्वाकर्षण भौतिकी का विलय आवश्यक है। इस सिद्धांत का नाम तय हो चुका है, “क्वांटम गुरुत्व(Quantum Gravity)” लेकिन यह कैसे कार्य करती है, अभी तक अज्ञात है! यह अब तक की सबसे बड़ी अनसुलझी समस्या है। श्याम विवर का अध्यन शायद इस रहस्य के हल की कुंजी प्रदान करे।
वर्महोल दो ब्रह्माण्डो के मध्य पुल का कार्य कर सकते है, इनसे समय यात्रा भी संभव है।
वर्महोल दो ब्रह्माण्डो के मध्य पुल का कार्य कर सकते है, इनसे समय यात्रा भी संभव है।
आइंस्टाइन का साधारण सापेक्षतावाद का सिद्धांत श्याम विवरो के विचित्र गुणधर्मो की अनुमति देता है। उदाहरण के लिए केन्द्रिय सींगुलैरीटी किसी दूसरे ब्रह्माण्ड के लिए पुल(bridge) का कार्य कर सकती है। यह वर्म होल(Wormhole) के जैसा है। वर्महोल आइन्सटाइन के समीकरणों का एक ऐसा हल है जिसमे घटना क्षितिज नही होता है। यह पुल या वर्महोल दूसरे ब्रह्माण्डो मे यात्रा करने मे सहायक हो सकते है, इनसे समय यात्रा भी संभव है। लेकिन निरिक्षण और प्रायोगिक जानकारी के अभाव मे यह एक कल्पना मात्र है। हम यह नही जानते है कि वर्महोल या पूल का ब्रह्माण्ड मे अस्तित्व है या नही ? या वे सिर्फ सैद्धांतिक रूप से संभव है। इसके विपरीत श्याम विवर का अस्तित्व है और हम जानते है कि उनका निर्माण कैसे होता है।
क्या श्याम विवर चिरंजीवी होते है?
श्याम विवर के गुरुत्वाकर्षण से कुछ भी नही बच सकता है, इसलिए माना जाता रहा कि श्याम विवर का विनाश असंभव है। लेकिन अब हम जानते है कि श्याम विवर बाष्पित होते है और धीमे धीमे अपनी ऊर्जा ब्रह्माण्ड को वापिस देते है। विख्यात भौतिकविद और लेखक स्टीफन हाकिंग ने 1974 मे क्वांटम मेकेनिक्स के नियमो के नियमो की सहायता से घटना क्षितिज के पास के क्षेत्र का अध्यन करते हुये यह सिद्ध किया था।
क्वांटम सिद्धांत पदार्थ के सबसे छोटे पैमाने पर के व्यवहार को परिभाषित करता है। उसके अनुसार परमाण्विक स्तर पर लघु कणों तथा प्रकाश का निर्माण और विनाश निरंतर रूप से जारी रहता है। इस प्रक्रिया मे निर्मित प्रकाश की उसके विनाश से पहले पलायन की छोटी सी संभावना रहती है। किसी बाहरी व्यक्ति के लिए यह घटना क्षितिज की हल्की दीप्ती(glow) के जैसी है। इस दीप्ती द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा श्याम विवर के द्रव्यमान को कम करती है, यह प्रक्रिया श्याम विवर के विलोपन तक चलती है।
यह आश्चर्यजनक तथ्य दर्शाता है कि श्याम विवरो के बारे मे बहुत कुछ जानना शेष है। लेकिन हाकिंग की दीप्ती किसी श्याम विवर के लिये नगण्य होती है। उनके लिए इस दीप्ती का तापमान लगभग शून्य है तथा ऊर्जा मे क्षति नगण्य है। इस प्रक्रिया द्वारा श्याम विवर द्वारा द्रव्यमान के क्षय मे लगने वाला समय कल्पना से ज्यादा है। लेकिन किसी छोटे श्याम विवर के लिए यह विनाशकारी है। किसी क्रुज जहाज के द्रव्यमान के श्याम विवर का विलोपन एक सेकंड से कम मे हो सकता है।