Saturday, June 18, 2011

ब्रह्माण्ड के खुलते रहस्य - १

प्रिय पाठकों, आज से हम 'ब्रह्माण्ड - The Universe' पर एक नयी श्रंखला का प्रारंभ कर रहे हैं 'ब्रहाण्ड के खुलते रहस्य'। अनमोल साहू द्वारा रचित इस लेख-माला मे हम ब्रहाण्ड के रहस्यों से रूबरू होंगे। फिलहाल 'ब्रहाण्ड के खुलते रहस्य' के पहली कड़ी का आनन्द लें। कोई प्रश्न या शंका हो तो बेहिचक पूछें। -- प्रमुख संपादक।

विश्व का, कहना चाहिये ब्रह्माण्ड का, सर्वप्रथम तथा सबसे बड़ा आश्चर्य, निस्सन्देह स्वयं ब्रह्माण्ड का जन्म है। ब्रह्माण्ड का अन्त चाहे विस्फोट में या टांय टांय फिस्स में हो उसका जन्म एक विस्फोट से हुआ है। विस्फोट के पूर्व समस्त ब्रह्माण्ड एक बिन्दु में समाया था। वह बिन्दु अकल्पनीय रूप से छोटा था, और ब्रह्माण्ड अकल्पनीय रूप से विराट है। क्या इससे बड़ा आश्चर्य कुछ हो भी सकता है कि उस सूक्ष्मतम बिन्दु से इस विराटतम ब्रह्माण्ड का जन्म हुआ है। बिन्दु और उसकी विराटता की कल्पना असम्भव ही कहलाएगी किन्तु खगोल वैज्ञानिकों ने उस सब की गणना कर ली है। गणित तो अकल्पनीय को भी अंकों में सीमित कर दे या बांध दे, अकथनीय को कह दे।

13.7 अरब प्रकाश–वर्षों (130 लाख करोड़ अरब किमी गहरे -- एक प्रकाश–वर्ष में 9.5 लाख करोड़ किमी होते हैं -- ) गहरे इस ब्रह्माण्ड के गूढ़तम रहस्यों को क्या यह मात्र तेरह सौ घन से मी के आयतन वाला हमारा मन मस्तिष्क खोल सकता है? तब भी मानव ने आदि काल से इन रहस्यों को खोलने का प्रयत्न किया है चाहे उसमें यूनानियों का यह विश्वास हो कि आकाशीय गोल तारे वे छिद्र हैं जिनमें से हमें सृष्टि रचना की जलती आग दिखाई देती है, या भारतीय ऋषियों का विश्वास कि आकाशीय पिण्ड विभिन्न लोक हैं जहां की यात्राएं की जा सकती हैं।

खगोल के नक्षत्रों की कुछ जानकारी, जिसे ज्योतिष ज्ञान कहते हैं,हजारों वर्ष पहिले आदमी ने अवलोकन से प्राप्त कर ली थी जिन्हे उसने 27 नक्षत्र मण्डलों में बांटा तथा जिसका उपयोग उसने फलित ज्योतिष के लिये किया। नक्षत्रों वाला ज्योतिष ज्ञान विज्ञान है किन्तु ‘फलित ज्योतिष’ विज्ञान नहीं है।तारे छिद्र तो नहीं हैं किन्तु उनमें सृष्टि रचना की आग अवश्य जलती है जिसके अध्ययन के द्वारा हम सृष्टि के रहस्य खोल सकते हैं। और अन्तरिक्ष विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का सबसे मनोहर स्वप्न है अन्तरिक्ष यात्रा।

इन धू धू कर जलते हुए पिण्डों के रहस्य खोलने के लिये अपार धन तथा ऊर्जा खर्च करने में क्या रखा है जबकि इस सुनील ग्रह की शस्य श्यामला हरित भूमि पर गरीबी का श्राप मानव जाति को दुखी कर रहा है? और वास्तविकता यह है कि ज्यों ज्यों ब्रह्माण्ड के रहस्य खोले गए हैं, मानव ने प्रकृति के नियमों को खोजा है तथा विज्ञान एवं औद्योगिक प्रगति बढ़ती गई है। सोलहवीं शती में कोपर्निकस की खोज (आगे देखें) के बाद ही पश्चिम ने बाइबिल के स्वर्ग का मोह छोड़कर इस जीवन को समृद्ध करना प्रारम्भ किया।

मानव मन स्वयं अत्यन्त रहस्यमय है, और वह स्वयं ही रहस्य खोलने के लिये सदा सहज ही तत्पर रहता है, चाहे वे रहस्य जासूसी उपन्यासों के हों, या ब्रह्माण्ड के। मन तथा ब्रह्माण्ड के रहस्यों को खोलने में प्रबुद्ध तथा रचनाशील व्यक्ति हजारों वर्षों से लगे हुए हैं क्योंकि इन रहस्यों को खोलना हमारे लिये सबसे बड़ी चुनौती है तथा सर्वाधिक आनन्ददायक तथा लाभदायक भी है। ऋषियों तथा चिन्तकों ने ब्रह्माण्ड के रहस्यों को खोलने में अपनी अन्तर्दृष्टि या रचनाशीलता का उपयोग कर अद्भुत मिथक दिये हैं। हो सकता है उनमें विज्ञान हो जिसे सिद्ध करना शेष है, किन्तु उन मिथकों के अद्भुत अर्थ निकलते हैं जो मानव–मन की जानकारी अधिक देते हैं, ब्रह्माण्ड की कम।