Sunday, June 19, 2011

अपोलो ६: असफलताओ के झटके

अपोलो ६ यह अपोलो चन्द्र अभियान की सैटर्न -V राकेट की दूसरी और अंतिम मानवरहित उडान थी।

अपोलो ६ से ली गयी तस्वीर

अपोलो ६ से ली गयी तस्वीर

उद्देश्य

इस अभियान का उद्देश्य मानव सहित अपोलो उडान(अपोलो ८) के पहले सैटर्न V राकेट की अंतिम जांच उडान था। दूसरा उद्देश्य नियत्रंण यान का पृथ्वी वातावरण मे अत्यंत कठीन परिस्थितीयो मे पुनःप्रवेश की जांच था। दूसरा उद्देश्य J2 इंजन की असफलता के कारण असफल रहा था।
निर्माण
प्रथम चरण का इंजन S-IC १३ मार्च १९६७ को निर्माण कक्ष मे लाया गया, चार दिन बाद उसे खडा किया गया। उसी दिन तीसरे चरण का इंजन S-IVB और नियंत्रण संगणक भी निर्माण कक्ष मे लाये गये। दूसरे चरण का इंजन SII अपनी योजना से दो महीने पिछे था इसलिये जांच के लिये उसकी जगह एक डमरू आकार का एक नकली इंजन लगाया गया। अब राकेट की उंचाई SII इंजन लगाने के बाद की उंचाई के बराबर ही थी। २० मई को SII लाया गया और ७ जुलाई को राकेट तैयार हो गया।

जांच की गति धीमी चल रही थी क्योंकि अपोलो ४ के चन्द्रयान की जांच अभी बाकि थी। निर्माण कक्ष मे ४ सैटर्न V बनाये जा सकते थे लेकिन जांच सिर्फ एक की कर सकते थे। मुख्य नियंत्रण और सेवा कक्ष २९ सितंबर को लाया गया और राकेट मे १० दिसंबर को जोडा गया। यह एक नया कक्ष था क्योंकि असली कक्ष अपोलो १ की आग मे जल गया था। दो महिने की जांच और मरम्मत के बाद राकेट लांच पैड पर ६ फरवरी १९६८ को खडा कर दिया गया।

अपोलो ६ की उडान

अपोलो ६ की उडान


उडान

अपोलो ४ की समस्यारहित उडान के विपरित अपोलो ६ की उडान मे शुरुवात से ही समस्याये आना शुरू हो गयी थी। ४ अप्रैल १९६८ को उडान के ठीक २ मिनट बाद राकेट ने पोगो दोलन(oscillation) के तिव्र झटके ३० सेकंड के लिये महसूस किये। इस पोगो के कारण नियंत्रण कक्ष और चन्द्रयान के माडल की संरचना मे परेशानीयां आ गयी। यान मे लगे कैमरो ने अनेक टुकडे गीरते हुये रिकार्ड किये।
पहले चरण के इंजन के यान से विच्छेदित होने के बाद दूसरे चरण SII के के इंजनो ने नयी समस्या खडी कर दी। इजंन क्रमांक २(दूसरे चरण SII मे कुल पांच इंजन थे) ने प्रक्षेपण के २०६ सेकंड से ३१९ सेकंड तक अपनी क्षमता से कम कार्य किया और ४१२ सेकंड के बाद बंद हो गया। दो सेकंड पश्चात इंजन क्रमांक ३ बंद हो गया। मुख्य नियंत्रण कम्प्युटर किसी तरह इस समस्याओ से जुझने मे सफल रहा और बाकि इंजनो को सामान्य से ५८ सेकंड ज्यादा जला कर निर्धारित उंचाई पर ले आया। इसी तरह तीसरे चरण SIVB को भी सामान्य से २९ सेकंड ज्यादा जलाना पडा।

इन समस्याओ के कारण SIVB और नियंत्रण कक्ष १६० किमी की वृत्ताकार कक्षा की बजाय १७८x३६७ किमी की दिर्घवृत्ताकार कक्षा मे थे। पृथ्वी की दो परिक्रमा के बाद SIVB क पुनःज्वलन नही हो पाया, जिससे चन्द्रयान को चन्द्रमा की ओर दागे जाने की स्थिति वाले इंजन ज्वलन की जांच नही हो पायी।

इस समस्या के कारण यह निश्चित किया गया कि अब नियंत्रण कक्ष के राकेट के इंजन को दागा जाये जिससे अभियान के उद्देश्य पूरे हो सके। यह इंजन ४४२ सेकंड तक जला जो सामान्य से ज्यादा था। अब यान २२,००० किमी की कक्षा मे पहुंच गया था। अब यान के वापिस आने के लिये पर्याप्त इंधन नही था इसलिये वह ११,२७० मी/सेकंड की बजाये १०,००० मी/सेकंड की गति से वापिस आया। यह निर्धारित स्थल से ८० किमी दूर जमिन पर आया।

समस्याये और उनके निदान

पोगो की समस्या पहले से ज्ञात थी, इसका हल खाली जगहो पर हिलीयम भर यान के कंपन को रोका गया। SII के दो इंजनो की असफलता का कारण इण्धन की नलीयो का दबाव मे फट जाना थ। ये समस्या इंजन ३ मे थी इसलिये इंजन ३ बंद करने का संदेश भेजा गया। लेकिन इण्जन २ और ३ के वायर उल्टे जुडे होने से इंजन २ को यह संदेश मिला और इण्जन ३ की बजाये २ बंद हो गया। इंजन २ के बंद होने से दबाव सुचक ने इंजन ३ को भी बंद कर दिया।
SIVB की अभिकल्पना SII पर आधीरित थी, सारी समस्याये वहां भी थी। इसी वजह से SIVB का पुनः ज्वलन नही हो पाया।

अपोलो के अगले अभियानो मे इन समस्याओ को दूर किया गया।

यह अभियान इसलिये भी जाना जाता है कि इसी दिन मार्टिन लूथर किंग जुनियर की हत्या कर दी गयी थी।