Sunday, June 19, 2011

अपनी अंतिम उड़ान पर ‘डिस्कवरी’

अपनी अंतिम उड़ान के लिये तैयार डिस्कवरी

अपनी अंतिम उड़ान के लिये तैयार डिस्कवरी

डिस्कवरी अपनी अंतिम उड़ान पर

डिस्कवरी अपनी अंतिम उड़ान पर

सितंबर १९८८ मे डिस्कवरी ने दोबारा उड़ान भरी थी, चैलेंजर दुर्घटना के बाद अंतरिक्ष शटल की यह पहली उड़ान थी। इस अवसर पर ‘विज्ञान प्रगति’ का एक अंतरिक्ष विशेषांक आया था। अंतरिक्ष और खगोलशास्त्र मे मेरी रूची इस उड़ान के बाद ही जागृत हुयी थी। इसके बाद विज्ञान प्रगति मे ही श्री देवेन्द्र मेवाड़ी की सौर मंडल पर एक लेख श्रंखला ने मेरी इस रूची को स्थायित्व दिया था।
आज डिस्कवरी अंतरिक्ष शटल अपनी अंतिम उड़ान भर चूका है, एक युग का अंत होने जा रहा है।

डिस्कवरी अंतरिक्ष शटल का नाम कैप्टन जेम्स कूक की तीसरी और अंतिम यात्रा के ब्रिटिश जहाज एच एम एस डिस्कवरी पर रखा गया था। इस का निर्माण कार्य जनवरी १९७९ मे प्रारंभ हुआ था। इस यान की पहली उड़ान ३० अगस्त १९८४ मे हुयी थी।

डिस्कवरी अंतरिक्ष शटल ने ही हब्बल अंतरिक्ष दूरबीन को स्थापित किया था। इस दूरबीन की दूसरी और तीसरी मरम्मत का कार्य भी डिस्कवरी ने ही किया था। इस शटल ने युलीसीस उपग्रह और तीन टीडीआरएस उपग्रह को कक्षा मे स्थापित किया था। चैलेंजर(१९८६) और कोलबीया(२००३) शटल दूर्घटनाओं के बाद अंतरिक्ष मे लौटने वाला यान डिस्कवरी ही था। डिस्कवरी ने जोन ग्लेन को ७७ वर्ष की उम्र मे प्रोजेक्ट मर्क्युरी के अंतर्गत सर्वाधिक उम्र का अंतरिक्ष यात्री बनने का श्रेय दिया था।

डिस्कवरी अब तक ३८ उड़ान भर चूका है और अब अपनी अंतिम ३९ उड़ान मे है। यह यान २४ फवरी २०११ तक पृथ्वी की ५२४७ परिक्रमा कर चूका है, और अंतरिक्ष मे ३२२ दिन रह चूका है। किसी अन्य यान की तुलना मे इसने सबसे ज्यादा उड़ाने भरी है।