Sunday, June 19, 2011

हैन्नी का वूरवेर्प

हब्बल दूरबीन से लीये गये इस चित्र को देखीये। पहली नजर मे देखने पर यही लगेगा की यह एक स्पाइरल के आकार आकाशगंगा है। लेकिन इस आकाशगंगा के निचे देखीये…..
हैन्नी का वूरवेर्प

हैन्नी का वूरवेर्प

ये अजीब सी हरी वस्तु क्या है ?

ये है हैन्नी का वूरवेर्प(Voorwerp)! चित्र पर क्लीक किजिये और इसे बड़े आकार मे देखीये…अब आप पुछेंगे कि ये वूरवेर्प क्या है ? यह डचभाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है “वस्तु“। वस्तु ? लेकिन अंतरिक्ष मे ये विशालकाय वस्तु क्या है ?

हैन्नी वान अर्केल ने इस वूरवेर्प को खोजा था और मजे की बात यह है कि हैन्नी खगोलविज्ञानी नही है। हैन्नी डच महारानी के गिटार-वादक ’ब्रायन मे’ का ब्लाग पढ रही थी जो कि एक खगोलविज्ञानी भी है। उस ब्लाग मे ब्रायन ने एक प्रोजेक्ट ’गैलेक्सी जू’ के बारे मे लिखा था, इस प्रोजेक्ट मे आप अपने कम्युटर पर आकाशगंगाओ को वर्गीकृत कर सकते है। हैन्नी ने इस प्रोजेक्ट को खोला और आकाशगंगाओ को देखना शुरू किया। किसी तरह उसने इस विचित्र सी हरी रंग की वस्तु को देखा। उसने खगोलविज्ञानीयो से इस वस्तु के बारे मे पुछा। अब खगोल विज्ञानीयो ने इस पर ध्यान दिया और हब्बल दूरबीन से इसका विचित्र चित्र लिया और यह चित्र आपके सामने है।

यह क्या है ? हरा रंग यह बताता है कि यह एक महाकाय गैस का बादल है, और हरा रंग इसे प्रदिप्तीत आक्सीजन से प्राप्त हो रहा है। लेकिन इस बादल के पास प्रकाश का कोई साधन नही है, यह प्रकाश उसे पास की आकाशगंगा से प्राप्त हो रहा होगा। यह गैस का हरे रंग का वूरवेर्प हमारी आकाशगंगा के बराबर विशालकाय है, पूरे १००,००० प्रकाशवर्ष चौड़ा !

यह माना जाता है कि इस आकाशगंगा के मध्य एक “महाकाय श्याम विवर (Super Massive Black Hole)” है जिसे IC २४९७ नाम दिया गया है। एक लंबे अंतराल से यह श्याम विवर पदार्थ को निगले जा रहा है। किसी श्याम विवर मे पदार्थ के निगलने से पहले घटना क्षितीज(Event Horizon) पर एक श्याम विवर के आसपास एक तश्तरी बन जाती है। यह तश्तरी श्यामविवर मे गीर रहे पदार्थ के घर्षण और गुरुत्वाकर्षण से गर्म होती है और विभिन्न बलो के क्रियाशील होने से यह दो विपरित दिशाओ मे उर्जा और पदार्थ की धारा(Jet) प्रवाहित करना प्रारंभ कर देती है।

इसी समय पर आकाशगंगा के बाहर हजारो प्रकाशवर्ष चौड़ा गैस का बादल शांत अवस्था मे रहा था। अचानक IC २४९७ के केन्द्र के श्याम विवर द्वारा उत्सर्जित उर्जा और पदार्थ की धारा इस बादल से टकरायी , इस धारा ने उसे प्रकाशित कर दिया और यह बादल किसी नियानलाईट(सच्चाई मे आक्सीजन लाईट) के जैसे प्रदिप्त हो उठा।

किसी समय, लगभग २००,००० वर्ष पहले IC २४९७ के केन्द्र के श्याम विवर मे पदार्थ का जाना रूक गया। शायद श्याम विवर के आसपास पदार्थ खत्म हो गया, जिससे इसकी तश्तरी से उर्जा और पदार्थ की धारा का उत्सर्जन रूक गया। लेकिन वूरवेर्प अभी तक प्रदिप्तित है क्योंकि गैस को अपनी चमक खोने मे लम्बा समय लगता है, लेकिन एक समय आने पर यह वूरवेर्प चमकना बंद कर देगा और हमारी निगाहों से ओझल हो जायेगा।

विज्ञानीयो के लिये यह एक असाधारण पिंड है। इसके जैसा पिंड इसके पहले देखा नही गया है इसलिये इसके बारे मे हर जानकारी नयी है।