Sunday, June 19, 2011

परग्रही सभ्यता मे वैज्ञानिक विकास : परग्रही जीवन श्रंखला भाग ८

यदि हम मानव इतिहास के पिछले १००,००० वर्षो मे विज्ञान के विकास पर दृष्टिपात करे तो हम पायेंगे कि यह अफ्रिका मे मानव के जन्म से लेकर अब तक यह उर्जा की खपत मे बढो़त्तरी का इतिहास है। रशियन खगोल विज्ञानी निकोलाइ कार्दाशेव के अनुसार सभ्यता के विकास के विभिन्न चरणो को ऊर्जा की खपत के अनुसार श्रेणीबद्ध लिया जा सकता है। इन चरणो के आधार पर परग्रही सभ्यताओं का वर्गीकरण किया जा सकता है। भौतिकी के नियमो के अनुसार उन्होने संभव सभ्यताओं को तीन प्रकार मे बांटा। 1
  1. वर्ग १ सभ्यता : इस प्रकार मे वह सभ्यताये आती है जो अपने ग्रह पर उपलब्ध समस्त ऊर्जा का प्रयोग कर सकती है। यह सभ्यता अपने ग्रह पर पडने वाले समस्त सूर्य प्रकाश(मातृ तारे का प्रकाश) का उपभोग करती है। ये सभ्यताये ज्वालामुखीयो की ऊर्जा का उपभोग कर सकती है, भूकंपों को नियंत्रण मे रख सकती है तथा सागर पर शहर बसा सकती है। ग्रह की समस्त ऊर्जा उनके नियत्रण मे है।
  2. वर्ग २ सभ्यता के अंतरिक्ष यान

    वर्ग २ सभ्यता के अंतरिक्ष यान

    वर्ग २ सभ्यता : यह सभ्यता अपने मातृ तारे की समस्त ऊर्जा को अपने प्रयोग मे ला सकती है, जिससे यह सभ्यता वर्ग १ की सभ्यता से १० अरब गुणा शक्तिशाली हो जाती है। स्टार ट्रेक मे फेडरेशन आफ प्लेनेट इसी तरह की सभ्यता है। यह सभ्यता अमर है, विज्ञान के हर रहस्य का इन्हे ज्ञान है। इन्हे हिम युग, उल्कापात, धूमकेतु की टक्कर या किसी सुपरनोवा विस्फोट का भय नही है। इनके मातृ तारे के नष्ट होने की संभावना पर ये सभ्यता किसी दूसरे तारे के ग्रह पर जाकर बसने मे सक्षम है। शायद ये अपने ग्रह को ही दूसरे तारे तक लेकर जा सकते है।

  3. वर्ग ३ सभ्यता : यह सभ्यता संपूर्ण आकाशगंगा की ऊर्जा का उपभोग कर सकती है। यह वर्ग २ की सभ्यता से १० अरब गुणा ज्यादा शक्तिशाली है। स्टार ट्रेक की बोर्ग सभ्यता या स्टार वार की एम्पायर सभ्यता तथा आसीमोव की फाउंडेशन सीरीज की आकाशगंगीय साम्राज्य(Galactic Empire) इस वर्ग का उदाहरण है। यह सभ्यता हजारो अरबो तारो ग्रहो पर निवास करती है और श्याम विवर(Black Hole) की ऊर्जा का उपभोग कर सकती है। यह सभ्यता आकाशगंगाओ के मध्य आसानी से विचरण करने मे सक्षम है।

कार्दाशेव के अनुमान के अनुसार यदि कोई सभ्यता ऊर्जा खपत मे कुछ प्रतिशत प्रति वर्ष की औसत रफ्तार से मे वृद्धी करते रहे तब वह तीव्रता से कुछ ही हजार वर्षो मे एक वर्ग की सभ्यता से दूसरे वर्ग की सभ्यता मे प्रगत हो जायेगी।

वर्ग ० सभ्यता का उच्च वर्ग मे संक्रमण

हमारी मानव सभ्यता अभी वर्ग ०(शून्य) की सभ्यता है। हम अभी मृत वनस्पति, तेल और कोयले से अपनी मशीनें चलाते है। हम सूर्य से प्राप्त ऊर्जा का एक बहुत ही सूक्ष्म अंश प्रयोग करते है। लेकिन हम वर्ग एक की सभ्यता का प्रारंभिक चरण देख पा रहे है। इंटरनेट ने वर्ग १ के संचार माध्यम की तरह सारे विश्व को बांध दिया है। यूरोपियन यूनियन वर्ग १ की अर्थव्यवस्था की ओर एक कदम है। अंग्रेजी एक विश्व भाषा के रूप मे उभर चूकी है और विज्ञान, वित्त और व्यापार की भाषा है। आशा है कि कुछ सदियो मे ही वह पृथ्वी पर सभी द्बारा समझी जाने वाली भाषा बन जाएगी। स्थानीय सभ्यताये, भाषायें और रीति रिवाज अपने स्थान पर फलते फूलते रहेंगे लेकिन एक विश्व सभ्यता, विश्व भाषा, विश्व अर्थव्यवस्था का जन्म होगा जो युवा संस्कृति और व्यापारिक बुद्धि द्वारा संचालित होगी।

लेकिन हमारी सभ्यता वर्ग ० से वर्ग १ मे संक्रमण(transition) पायेगी इसकी कोई गारंटी नही है। वर्ग ० से वर्ग १ मे संक्रमण सबसे ज्यादा खतरनाक चरण है, शायद कुछ ही सभ्यतायें इस चरण को पार कर पाती है। वर्ग ० सभ्यता मे साम्प्रदायिकता, कट्टरता और वर्ग भेद अपने चरम पर होते है। जनजातीय और धार्मिक विश्वास इस संक्रमण को पराजित करने मे कोई कसर नही छोड़ेंगे। हम अपनी आकाशगंगा मे कोई वर्ग १ की सभ्यता नही देख पा रहे है| इसके पीछे एक कारण यह भी हो सकता है कि कोई भी सभ्यता अभी तक वर्ग ० से वर्ग १ मे प्रगति नही कर पायी है, उसके पहले ही नष्ट हो गयी है, आत्महत्या कर ली है। किसी दिन जब हम दूसरे तारो की यात्रा करेंगें तो हमे उन तारों के ग्रहों पर सभ्यता के अवशेष दिखायी दे सकते है, जिन्होने किसी तरह से स्वयं को नष्ट कर दिया था। शायद उनका वातावरण अत्यधिक रेडीयो सक्रिय हो गया हो या जीवन के लिये असंभव रूप से गर्म हो गया हो। लेकिन यह हम तभी देख पायेंगे जब हम स्वयं को नष्ट होने से बचा लेंगे।

जब कोई सभ्यता वर्ग ३ की सभ्यता बन जाती है तब उनके पास अंतरिक्ष मे आकाशगंगाओ के पार जाने के लिये साधन आ जाते है। वे पृथ्वी तक भी आ सकते है। हॉलीवुड की फिल्म २००१ ए स्पेस ओडीसी के जैसे वर्ग ३ की सभ्यताये आकाशगंगाओ मे सभ्यताओं की खोज के लिये यान भेज सकती है।

क्या उच्च वर्ग की सभ्यताओं द्वारा निम्न वर्ग की सभ्यताओं पर आक्रमण संभव है ?

’इंडीपेन्डेस डे’ का एक दृश्य

’इंडीपेन्डेस डे’ का एक दृश्य

हॉलीवुड की फिल्मों मे अन्य परग्रही सभ्यताओं द्वारा पृथ्वी पर आक्रमण दिखाना एक सामान्य पटकथा है। लेकिन यह बाँक्स आफीस पर दर्शक जुटाने के लिए ही सच है। हॉलीवुड की फिल्म इंडीपेन्डेन्स डे या “बैटल: लास एन्जीलस” के विपरीत वर्ग ३ की सभ्यता को पृथ्वी पर आक्रमण और विजय की कोई अभिलाषा नही होगी।इंडीपेन्डेन्स डे की परग्रही सभ्यता टिड्डियों की तरह ग्रहो पर आक्रमण कर उनके संसाधनों का प्रयोग कर आगे बढते जाते है। वास्तविकता मे अंतरिक्ष मे ऐसे असंख्य मृत ग्रह है जिनपर खनिज संसाधनो की प्रचुरता है, इन संसाधनो का प्रयोग स्थानीय सभ्यता के प्रतिरोध के बिना भी किया जा सकता है। (कुछ इसी तरह जेम्स कैमेरॉन की अवतार मे हमलावर मानव जाति पेंडोरा पर अनाब्टेनियम के लिये आक्रमण करती है।) ध्यान रहे कि वर्ग ० की सभ्यता ही किसी भौतिक वस्तु की प्राप्ति के लिए आक्रमण करती है। उच्च वर्ग की सभ्यता इतनी उन्नत होती है कि वह इन वस्तुओ को आक्रमण या हिंसा के बिना ही अहिंसक रूप से प्राप्त कर सकती है।

वर्ग ३ की सभ्यता का हमारे लिये रवैया बहुत कुछ हमारे चिंटीयो के लिये रवैये जैसा होगा। हम झुककर चिंटीयो को मोती या आभूषण नही देते है, सिर्फ उपेक्षा कर आगे बढ जाते है। चिंटीयो को हमारे आक्रमण की चिंता नही होती, हम उन्हे सिर्फ अपने रास्ते पर आने पर उन्हे रास्ते से हटाते है। वर्ग ३ और वर्ग ० की मानव सभ्यता के बीच की खाई , हमारे और चिंटी के बीच की खाई से ज्यादा बड़ी और गहरी है।