Saturday, June 18, 2011

श्याम पदार्थ (Dark Matter) का ब्रह्माण्ड के भूत और भविष्य पर प्रभाव : ब्रह्माण्ड की संरचना भाग ७

श्याम पदार्थ की खोज आकाशगंगाओं के द्रव्यमान की गणनाओं मे त्रुटियों की व्याख्या मात्र नही है। अनुपस्थित द्रव्यमान समस्या ने ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के सभी प्रचलित सिद्धांतों पर भी प्रश्नचिह्न लगा दिये हैं। श्याम पदार्थ का अस्तित्व ब्रह्माण्ड के भविष्य पर प्रभाव डालता है।

महाविस्फोट का सिद्धांत(The Big Bang Theory)

1950 के दशक के मध्य मे ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति का नया सिद्धांत सामने आया, जिसे महाविस्फोट का सिद्धांत(The Big Bang) नाम दिया गया। इस सिद्धांत के अनुसार ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति एक महा-विस्फोट के साथ हुयी। इस सिद्धांत के पीछे आकाशगंगाओं के प्रकाश मे पाया जाने वाला डाप्लर प्रभाव(Dopler Effect) का निरीक्षण था। इसके अनुसार किसी भी दिशा मे दूरबीन को निर्देशित करने पर भी आकाशगंगाओं के केन्द्र से आने वाले प्रकाश मे लाल विचलन(Red Shift) था। (आकाशगंगाओं के दोनो छोरो मे पाया जाने वाला डाप्लर प्रभाव आकाशगंगा का घूर्णन संकेत करता है।) हर दिशा से आकाशगंगाओं के केन्द्र के प्रकाश मे पाया जाने वाला लाल विचलन यह दर्शाता है कि वे हमसे दूर जा रही हैं। अर्थात हर दिशा मे ब्रह्माण्ड का विस्तार हो रहा है।

महाविस्फोट के सिद्धांत के अनुसार सारा पदार्थ किसी समय एक बिंदु पर संपिड़ीत था। एक महाविस्फोट ने सारे पदार्थ को समान रूप से हर दिशा मे वितरित कर दिया। जैसा कि आज हम देखते है ,गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से इस पदार्थ ने गुच्छो मे जमा होकर ग्रहों, तारों तथा आकाशगंगाओं का निर्माण किया। इस महाविस्फोट से जनित विस्तार गुरुत्वाकर्षण को पार पाने मे सफल था, इसका प्रभाव आज भी हम एक दूसरे से दूर जाती हुयी आकाशगंगाओं(लाल विचलन के रूप मे) मे देख सकते है। (महाविस्फोट के सिद्धांत के बारे मे विस्तार से पढे।)

ब्रह्मांडीय पिण्डो का निर्माण: महाविस्फोट के सिद्धांत के साथ यह समस्या है कि वह हर दिशा मे समान रूप से वितरित ब्रह्माण्ड मे तारों, आकाशगंगाओं जैसे ब्रह्मांडीय पिण्डों के निर्माण की व्याख्या नही कर पाता है। ब्रह्मांडीय पदार्थ ने गुच्छे के रूप मे जमा होना कैसे और क्यों प्रारंभ किया ? एक सपाट समान रूप से वितरित ब्रह्मांड मे हर कण पर हर दिशा मे समान रूप से गुरुत्वाकर्षण बल का प्रभाव होना चाहीये, जिससे ब्रम्हांड को यथास्थिति मे रहना चाहिये। लेकिन किसी अज्ञात कारण से शुरुवाती गुरुत्वाकर्षण के कारण पदार्थ का गुच्छो के रूप मे बंधना शुरू हुआ और आकाशगंगाओं का निर्माण हुआ। भौतिक विज्ञानियों के अनुसार श्याम पदार्थ -विम्प इसका हल है। विम्प साधारण बार्योनिक पदार्थ के साथ केवल गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा प्रतिक्रिया करता है जिससे भौतिक विज्ञानियों के अनुसार श्याम पदार्थ आकाशगंगा के निर्माण मे “बीज” का कार्य कर सकता है। आकाशगंगा के निर्माण का कोई पूर्ण सफल माडेल नही है लेकिन एक सफल माडेल के लिए आकाशगंगा के निर्माण के लिए बड़ी मात्रा मे नान-बार्योनिक श्याम पदार्थ का होना आवश्यक है।

ब्रह्मांड का भविष्य : बंद, खूला तथा सपाट

ब्रह्माण्ड के भविष्य के तीन परिदृश्य है।

  1. यदि ब्रह्माण्ड बंद है, गुरुत्वाकर्षण विस्तार की गति को पकड़ लेगा तथा ब्रह्माण्ड सिकुड़ना प्रारंभ हो जायेगा, अंत मे ब्रह्माण्ड एक बिंदु के रूप मे संपिड़ित हो जायेगा। यह महाविस्फोट तथा महासंकुंचन के अनंत चक्र की संभावना दर्शाता है।
  2. यदि ब्रम्हाण्ड खूला है, ब्रम्हांड का विस्तार अनंत काल तक जारी रहेगा। इस अवस्था मे गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव ब्रम्हाण्ड के विस्तार से कम ही रहेगा।
  3. यदि ब्रह्मांड सपाट है, गुरुत्वाकर्षण बल अंततः ब्रह्माण्ड के विस्तार को रोक देगा लेकिन उसे वापिस खींच नही पायेगा। इस ब्रम्हाण्ड का संक्रमण घनत्व १ होगा।

ब्रह्माण्ड के विस्तार का अनुपस्थित द्रव्यमान से क्या संबंध है ?

सरल उत्तर है, ज्यादा द्रव्यमान, ज्यादा गुरुत्वाकर्षण ! ब्रह्माण्ड के बंद, खुले या सपाट होने की संभावना उसके कुल द्रव्यमान पर निर्भर है। यहीं पर श्याम पदार्थ चित्र मे आता है। श्याम पदार्थ के बिना संक्रमण घनत्व ०.१ तथा ०.०१ के मध्य है तथा ब्रह्माण्ड खुला है। यदि श्याम पदार्थ की मात्रा ज्यादा है, हम एक बंद ब्रह्माण्ड मे है। यदि श्याम पदार्थ की मात्रा संतुलित मात्रा मे है, हम सपाट ब्रह्माण्ड मे है। श्याम पदार्थ की मात्रा ब्रह्माण्ड के भविष्य को तय करेगी।

ढेर सारे सिद्धांत

वैज्ञानिक एक के बाद एक नया सिद्धांत प्रस्तुत कर रहे है। कुछ विम्प(WIMP) के बारे सशंकित है, कुछ मानते है कि माचो(MACHO) कभी भी ब्रह्माण्ड के ९०% भाग के बराबर नही हो सकते है। कुछ वैज्ञानिक जैसे एच सी आर्प, जी बर्बेगे, एफ़ होयल तथा जयंत विष्णु नारळीकर के अनुसार श्याम पदार्थ के जैसी विसंगतियां महाविस्फोट के सिद्धांत को खारीज करती है।

अनुपस्थित द्रव्यमान समस्या मानव जाति के ब्रह्माण्ड मे विशिष्ट स्थान को चुनौती दे रही है। यदि नान-बार्योनिक पदार्थ का अस्तित्व है, तब हमारा विश्व और मनुष्य जाति ब्रह्माण्ड के केन्द्र से और भी दूर हो जायेगी। डा. सडौलेट के अनुसार

यह एक परम कोपरनिकस क्रांति होगी। हम न ज्ञात ब्रह्माण्ड के केन्द्र मे है, ना ही हम ब्रम्हाण्ड के अधिकतर पदार्थ से निर्मित है। हम केवल थोड़े अतिरिक्त नगण्य तथ्य है तथा ब्रह्माण्ड हमसे पूरी तरह भिन्न है।

श्याम पदार्थ की खोज, ब्रह्माण्ड मे हमारी स्थिति के दृष्टिकोण को बदल देगी। यदि वैज्ञानिक नान-बार्योनिक श्याम पदार्थ के अस्तित्व को प्रमाणित कर देते है, इसका अर्थ होगा कि हमारा विश्व और उस पर जीवन ब्रह्माण्ड के नगण्य तथा तुच्छ हिस्से से निर्मित है। यह खोज हमारे दैनिक कार्य कलाप को प्रभावित नही करेगी लेकिन यह सोचना कि सारा ब्रह्माण्ड किसी अदृश्य अज्ञात वस्तू से बना है कितना अजीब होगा ?



श्याम पदार्थ को और समझने के लिए आगे पढ़े...

भौतिकी में श्याम पदार्थ उस पदार्थ को कहते है जो विद्युत चुंबकीय विकिरण (प्रकाश, क्ष किरण) का उत्सर्जन या परावर्तन पर्याप्त मात्रा में नहीं करता जिससे उसे महसूस किया जा सके किंतु उसकी उपस्थिति साधारण पदार्थ पर उसके गुरुत्व प्रभाव से महसूस की जा सकती है। श्याम पदार्थ की उपस्थिति के लिये किये गये निरीक्षणों में प्रमुख है, आकाशगंगाओं की घूर्णन गति, किसी आकाशगंगाओं के समुह में आकाशगंगा की कक्षा मे गति और आकाशगंगा या आकाशगंगा के समुह में गर्म गैसो में तापमान का वितरण है। श्याम पदार्थ की ब्रह्मांड के आकार ग्रहण प्रक्रिया(१) तथा महा विस्फोट केन्द्रीय संश्लेषण(Big Bang Ncleosynthesis)(२)प्रमुख भूमिका रही है। श्याम पदार्थ का प्रभाव ब्रह्मांडीय विकिरण के फैलाव और वितरण में भी रहा है। यह सभी सबूत यह बताते है कि आकाशगंगाये, आकाशगंगा समुह(Cluster) और ब्रह्मांड में पदार्थ की मात्रा निरीक्षित मात्रा से कही ज्यादा है, जो कि मुख्यतः श्याम पदार्थ है जिसे देखा नहीं जा सकता।
श्याम पदार्थ का संयोजन(३) अभी तक अज्ञात है लेकिन यह नये मूलभूत कणों जैसे विम्प (WIMP)(४) और एक्सीआन(Axions)(५), साधारण और भारी न्युट्रीनो , वामन तारो और ग्रहो(MACHO)(६) तथा गैसो के बादल से बना हो सकता है। हालिया सबूतों के अनुसार श्याम पदार्थ की संरचना नये मूलभूत कणों जिसे नानबायरोनिक श्याम पदार्थ(nonbaryonic dark matter) कहते है से होना चाहिये।

श्याम पदार्थ की मात्रा" src="http://static.flickr.com/108/287687766_ca532da32c.jpg" alt="श्याम पदार्थ की मात्रा" width="379" height="270">

श्याम पदार्थ की मात्रा

श्याम पदार्थ की मात्रा और द्रव्यमान साधारण दिखायी देने ब्रह्मांड से कही ज्यादा है। अभी तक की खोजों में ब्रह्मांड मे बायरान और विकिरण का घनत्व लगभग १ हायड्रोजन परमाणु प्रति घन मीटर है। इसका लगभग ४% ऊर्जा घनत्व देखा जा सकता है। लगभग २२% भाग श्याम पदार्थ का है, बचा ७४% भाग श्याम ऊर्जा का है। कुछ मुश्किल से जाँच किये जा सकने वाले बायरानीक पदार्थ भी श्याम पदार्थ बनाते है लेकिन इसकी मात्रा काफी कम है। इस लापता द्रव्यमान की खोज भौतिकी और ब्रह्मांड विज्ञान के सबसे बड़े अनसुलझे रहस्यों में से एक है।

सबसे पहले श्याम पदार्थ के बारे में सबूत देने वाले कैलीफोर्निया ईन्स्टीट्युट आफ टेक्नालाजी के एक स्वीस विज्ञानी फ्रीटज झ्वीस्की थे। उन्होने कोमा आकाशगंगा समुह पर वाइरियल प्रमेय(७) का उपयोग किया और उन्हें लापता द्र्व्यमान का ज्ञान हुआ। झ्वीस्की ने कोमा आकाशगंगा समुह के किनारे की आकाशगंगाओ की गति के आधार पर कोमा आकाशगंगा समुह के द्रव्यमान की गणना की। जब उन्होने इस द्रव्यमान की तुलना आकाशगंगाओं और उनकी आकाश गंगा समुह (Cluster) की कुल प्रकाश दीप्ति के आधार पर ज्ञात द्रव्यमान से की तो उन्हें पता चला कि वहां पर अपेक्षा से ४०० गुना ज्यादा द्रव्यमान है। इस आकाशगंगा समुह में दिखायी देने वाली आकाशगंगाओं का गुरुत्व इतनी तेज कक्षा के कारण काफी कम होना चाहिये, इन आकाशगंगाओं के पास अपने संतुलन के लिये कुछ और द्रव्यमान होना चाहिये। इसे लापता द्रव्यमान रहस्य(Missisng Mass Problem) कहा जाता है। झ्वीस्की ने इन अनुमानों के आधार पर कहा कि वहां पर कुछ अदृश्य पदार्थ होना चाहीये जो इस आकाशगंगा समुह को उचित द्रव्यमान और गुरुत्व प्रदान कर रहा है जिससे यह आकाशगंगा समुह का विखण्डन नही हो रहा है।

आकाशगंगा का घूर्णन" src="http://farm1.static.flickr.com/109/287687767_6c8f5b8c84.jpg" alt="आकाशगंगा का घूर्णन" width="350" height="295">

आकाशगंगा का घूर्णन

श्याम पदार्थ के बारे में और सबूत आकाशगंगाओं की गति के अध्ययन से प्राप्त हुये। इनमें से काफी आकाशगंगा एकसार है, इन पर वाइरियल प्रमेय लगाने पर इनकी कुल गतिज ऊर्जा(Kinetic Energy) इनके कुल गुरुत्व ऊर्जा का आधा होना चाहीये। प्रायोगिक नतीजों के अनुसार गतिज ऊर्जा इससे कहीं ज्यादा पायी गयी। आकाशगंगा के दृश्य द्रव्यमान के गुरुत्व को ही लेने पर , आकाशगंगा के केन्द्र से दूर तारों की गति वाइरियल्ल प्रमेय द्वारा गणित गति से कहीं ज्यादा पायी गयी। गैलेटीक घूर्णन वक्र कक्षा (८) जो घूर्णन गति और आकाशगंगा केन्द्र की व्याख्या करती है, इसे दृश्य द्रव्यमान से समझाया नहीं जा सकता। दृश्य पदार्थ आकाशगंगा समुह का एक छोटा सा ही हिस्सा है मान लेने पर इसकी व्याख्या की जा सकती है। आकाशगंगाये एक लगभग गोलाकार श्याम पदार्थ से बनी प्रतीत होती है जिनके मध्य में एक तश्तरी नुमा दृश्य पदार्थ है। कम चमकदार सतह वाली वामन आकाशगंगाये श्याम पदार्थ के अध्ययन के लिये जरूरी सूचना का महत्वपूर्ण श्रोत है क्योंकि इनमें असाधारण रूप से साधारण पदार्थ और श्याम पदार्थ का अनुपात कम है और इनके केन्द्र में कुछ ऐसे चमकीले तारे है जो बाहरी छोर पर स्थित तारों की कक्षा को विकृत कर देते है।

अगस्त २००६ में प्रकाशित परिणामों के आधार पर श्याम पदार्थ , साधारण पदार्थ से अलग पाया गया है। यह परिणाम दो अलग अलग आकाशगंगा समुह की १५०० लाख वर्ष पहले हुयी भिड़ंत से बने बुलेट आकाशगंगा समुह (Bullet Cluster) के अध्ययन से मिले है। आकाशगंगा की घूर्णन वक्र कक्षा झ्वीस्की के निरीक्षण के ४० वर्षों बाद तक ऐसा कोई निरीक्षण नही मिला जिसमे प्रकाश और द्रव्यमान का अनुपात इकाई से अलग हो। अधिक प्रकाश और द्रव्यमान का अनुपात श्याम पदार्थ की उपस्थिति दर्शाता है। १९७० के दशक की शुरूवात मे कार्नेगी इन्सीट्युट आफ वाशिण्गटन की एक विज्ञानी वेरा रूबीन ने एक नये ज्यादा संवेदनशील स्पेक्ट्रोग्राफ (जो कुंडली नुमा आकाशगंगा के सिरे की गति कक्षा को ज्यादा सही तरीके से माप सकता था) की मदद से कुछ नये परिणाम प्राप्त किये। इस विस्मयकारी परिणाम के अनुसार किसी कुंडली नुमा आकाशगंगा के अधिकतर तारे एक जैसी गति से आकाशगंगा के केन्द्र की परिक्रमा करते है। इसका अर्थ यह था कि द्रव्यमान घनत्व अधिकतर तारो(आकाशगंगा केन्द्र) से दूर भी एकसार था। इसका एक अर्थ यह भी था कि या तो न्युटन का गुरुत्व नियम हर अवस्था में लागू नहीं किया जा सकता या इन आकाशगंगा का ५०% से अधिक द्रव्यमान श्याम पदार्थ से बना है। इस परिणाम की पहले खिल्ली उडायी गयी लेकिन बाद में ये मान लिया गया कि आकाशगंगा का अधिकतर भाग श्याम पदार्थ से बना है।

बाद में इसी तरह के परिणाम इलीप्स के आकार की आकाशगंगाओं मे भी पाये गये। रूबीन के द्वारा ५०% प्रतिशत द्रव्यमान की गणना अब बढ़कर ९५% हो गयी है। कुछ ऐसे भी आकाशगंगा समुह है जो श्याम ऊर्जा की उपस्थिति नकारते है। ग्लोबुलर आकाशगंगा समुह एक ऐसा ही आकाशगंगा समुह है। हाल ही मे कार्डीफ विद्यापिठ के वैज्ञानिकों ने एक श्याम ऊर्जा की बनी हुयी आकाशगंगा की खोज की है। यह कन्या आकाशगंगा समुह (Virgo Cluster) से ५० प्रकाश वर्ष दूर है, इस आकाशगंगा का नाम VIRGOHI21 है। इस आकाशगंगा में तारे नहीं है। इसकी खोज हायड्रोजन की रेडियो तरंगों के निरीक्षण से हुयी है। इसके घूर्णन कक्षा के अध्ययन से वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इसमें हायडोजन के द्रव्यमान से १००० गुना ज्यादा श्याम पदार्थ है। इसका कुल द्रव्यमान हमारी आकाशगंगा मंदाकिनी के द्रव्यमान का दसवाँ भाग है। हमारी आकाशगंगा मंदाकिनी में भी दृश्य पदार्थ के द्रव्यमान से १० गुना ज्यादा श्याम पदार्थ मौजूद है।

एबेल आकाशगंगा समूह" src="http://static.flickr.com/115/287687762_cb531389da.jpg" alt="एबेल आकाशगंगा समूह" width="400" height="500">

एबेल आकाशगंगा समूह

श्याम पदार्थ आकाशगंगा समुह पर भी प्रभाव डालता है। एबेल २०२९ आकाशगंगा समुह जो की हज़ारों आकाशगंगाओं से बना है, इसके आसपास चारों ओर गरम गैसो और श्याम पदार्थ का आवरण फैला हुआ है। इस श्याम पदार्थ का द्रव्यमान १०१४ सूर्यों के द्रव्यमान के बराबर है। इस आकाशगंगा समुह के केन्द्र में एक इलीप्स के आकार की आकाशगंगा (जो कुछ आकाशगंगाओं के मिलन से बनी है) है। इस आकाशगंगा समुह की कक्षा की गति श्याम ऊर्जा निरीक्षणों के अनुरूप है।

श्याम ऊर्जा के निरीक्षण के लिये दूसरा साधन गुरुत्विय वक्रता (gravitational lensing)(९) है। यह प्रक्रिया सापेक्षता वाद के सिद्धांत के द्रव्यमान गणना पर आधारित है जो गतिज ऊर्जा पर निर्भर नहीं करती है। यह पूरी तरह श्याम ऊर्जा के द्रव्यमान की गणना के लिये स्वतंत्र सिद्धांत है। एबेल १६८९ के आसपास प्रबल गुरुत्विय वक्रता पायी गयी है। इस वक्रता को माप कर उस आकाशगंगा समुह का द्रव्यमान ज्ञात किया जा सकता है। द्रव्यमान और प्रकाश के अनुपात से श्याम पदार्थ की उपस्थिति जांची जा सकती है।

श्याम पदार्थ की संरचना

अगस्त २००६ मे श्याम पदार्थ को प्रकाशीय पद्धति से जांच लिया गया है लेकिन अभी भी यह अटकलों के घेरे में है। आकाशगंगा घूर्णन वक्र कक्षा, गुरुत्विय वक्रता, ब्रह्मांडीय पदार्थ का विभिन्न आकार बनाना(Structure Formation), आकाश गंगा समुह मे बायरान की अल्प उपस्थिति जैसे सबूत यह बताते है कि ८५-९०% पदार्थ विद्युत चुंबकीय बल से प्रतिक्रिया नहीं करता है। यह श्याम पदार्थ अपने गुरुत्विय बल से अपनी मौजूदगी दर्शाता है। इस श्याम पदार्थ की निम्नलिखित श्रेणियाँ हो सकती है।

  • बायरानीक श्याम पदार्थ
  • अबायरानीक श्याम पदार्थ (यह तीन तरह का हो सकता है)
    • अत्याधिक गर्म श्याम पदार्थ
    • गर्म श्याम पदार्थ
    • तल श्याम पदार्थ

अत्यधिक गर्म श्याम पदार्थ में कण सापेक्ष गति(relativistic velocities)(१०)) से गतिमान रहते है। न्युट्रीनो इस तरह का कण है। इस कण का द्रव्यमान कम होता है और इस पर विद्युत चुंबकीय बल और प्रबल आणविक बल का प्रभाव नहीं पड़ता है। इसकी जांच एक दुष्कर कार्य है। यह भी श्याम ऊर्जा के जैसा है। लेकिन प्रयोग यह बताते है कि न्युट्रीनो श्याम पदार्थ का एक बहुत ही छोटा हिस्सा है। गर्म श्याम पदार्थ महा विस्फोट के सिद्धांत पर खरे नहीं उतरते है लेकिन इनका अस्तित्व है।

शीतल श्याम पदार्थ जिसके कण सापेक्ष गति नहीं करते है। बडे द्रव्यमान वाले पिंड जैसे आकाशगंगा के आकार के श्याम विवर को गुरूतविय वक्रता के आधार पर अलग कर सकते है। संभव उम्मीदवारों मे सामान्य बायरोनिक पदार्थ वाले पिंड जैसे भूरे वामन या माचो (MACHO भारी तत्वों के अत्यंत घनत्व वाले पिंड) भी है। लेकिन महाविस्फोट के आणविक संयुग्मन (big bang nucleosynthesis ) प्रक्रिया ने विज्ञानीयो को यह विश्वास दिला दिया है कि MACHO जैसे बायरानिक पदार्थ कुल श्याम पदार्थ के द्रव्यमान का एक बहुत ही छोटा हिस्सा हो सकते है।

आज की स्थिती मे श्याम पदार्थ की संरचना अबायरानिक कणो, इलेक्ट्रान, प्रोटान, न्युट्रान, न्युट्रीनो जैसे कणों के अलावा, एक्सीआन, WIMP(Weakly Interacting Massive Particles कमजोर प्रतिक्रिया वाले भारी कण जिसमे न्युट्रलिनो भी शामील है), अचर न्युट्रीनो (sterile neutrinos)(१०) से बनी हुयी मानी जाती है। इनमें से कोई भी कण साधारण भौतिकी की आधारभूत संरचना का कण नहीं है। श्याम पदार्थ की संरचना के उम्मीदवार कणों की खोज के लिये प्रयोग जारी है।

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(१)आकार ग्रहण प्रक्रिया(Structure Formation)- यह ब्रह्मांड निर्माण भौतिकी का एक मूलभूत अन सुलझा रहस्य है। ब्रह्मांड जैसा की हम ब्रह्मांडीय विकिरण(Cosmic Microvave Background Radiation) के अध्ययन से जानते है, एक अत्यंत घने , अत्यंत गर्म बिन्दु के महा विस्फोट से बना है। लेकिन आज की स्थिती में हर आकार के आकाशीय पिंड मौजूद है, ग्रह से लेकर आकाशगंगाओं से आकार से गैसो के बादल (Cluster) के दानवाकार तक के है। एक शुरूवाती दौर के समांगी ब्रह्मांड से आज का ब्रह्मांड कैसे बना ?
(२) महा विस्फोट केन्द्रीय संश्लेषण(Big Bang Ncleosynthesis) : हायड्रोजन(H1) को छोड़कर अन्य तत्वों के परमाणु केन्द्रक निर्माण की प्रक्रिया।
(३) साधारण पदार्थ(Byaronic Matter) मुख्यतः इलेक्ट्रान, न्युट्रान और प्रोटान से बना होता है। इलेक्ट्रान, न्युट्रान और प्रोटान को बायरान भी कहते है।
(४) विम्प(WIMP:weakly interacting massive particles): अभी तक ये काल्पनिक कण है। ये कण कमजोर आणविक बल और गुरुत्वाकर्षण बल से ही प्रतिक्रिया करते है। इनका द्रव्यमान साधारण कणों(बायरान) की तुलना में काफी अधिक होता है। ये साधारण पदार्थ से प्रतिक्रिया नहीं करते जिससे इन्हें देखा और महसूस नहीं किया जा सकता।
(५)एक्सीआन(Axions): यह भी एक काल्पनिक मूलभूत कण है, इन पर कोई विद्युत आवेश नहीं होता है और इनका द्रव्यमान काफी कम १०-६ से १०-२ eV/c2 के बीच होना चाहिये। मजबूत चुंबकीय बलों की उपस्थिति में इन्हें फोटान में बदल जाना चाहिये।
(६) माचो(अत्यंत विशाल सघन प्रकाशित पिंड)(MACHO: Massive compact halo object): ये उन पिंडों के लिये दिया गया नाम है जो श्याम पदार्थ की उपस्थिति को समझने में मदद कर सकते है। ये श्याम विवर (Black Hole) , न्युट्रान तारे, सफेद वामन तारे या लाल वामन तारे भी हो सकते है।
(७)वाइरियल प्रमेय अधिक जानकारी के लिये देखे : http://en.wikipedia.org/wiki/Virial_theorem
(८) देखे http://en.wikipedia.org/wiki/Galactic_rotation_curve
(९)गुरुत्विय वक्र (gravitational lensing) :प्रकाश किरणों के में उस समय आई वक्रता होती है जब ये किसी गुरुत्विय लेंस से गुज़रती है। ये गुरुत्विय लेंस श्याम विवर भी हो सकता है।
(१०)अचर न्युट्रीनो (sterile neutrinos): जिन न्युट्रीनो पर किसी भी मूलभूत बलों का प्रभाव नहीं होता है।