अपोलो ४ यह अपोलो अभियान का दूसरा यान था। यह सैटर्न ५ राकेट की पहली मानवरहित उडान थी। राकेट के दो चरण S-IC और S-II की भी यह पहली उडान थी।
सैटर्न ५ यह मानव द्वारा बनाया गया सबसे बडा वाहन था। इसकी उडान के लिये एक नया लांचपैड लांच कांपलेक्स ३९ बनाया गया था। चरण S-IC और S-II की भी यह पहली उडान तो थी ही , साथ मे S-IVB चरण को पहली बार अंतरिक्ष मे पृथ्वी की कक्षा मे दूबारा प्रज्वलित किया गया था। पहली बार इस यान ने पृथ्वी के यान मे उसी गति से पुनःप्रवेश किया था, जो गति से चन्द्रमा से लौटने पर अपेक्षित थी। इन सभी प्रथमो के कारण इस यान और राकेट पर ४,०९८ जांच उपकरण लगाये गये थे।
राकेट पर दो यान रखे थे. CSM-०१७(CSM Command and Service Module- नियंत्रण और कार्य भाग) उस यान का माडल था जो अंतरिक्ष यात्रीयो को चन्द्रमा तक ले जाने वाला था। यह सिर्फ ब्लाक १ अर्थात एक जांच यान था। ब्लाक -२ अर्थात वह यान जो मानव युक्त होने वाला था। लेकिन CSM-017 मे उन्नत उष्मारोधी टाइल लगायी गयी थी जो ब्लाक २ मे लगायी जानेवाली थी। LTA-10R दूसरा यान इस राकेट पर था, यह यान चन्द्रमा पर उतरने वाला यान का एक माडल था।
२३ फरवरी १९६७ को इस यान के सभी पुर्जो को जोडकर तैयार कर दिया गया। लेकिन अपोलो १ दुर्घटना के बाद इस यान की पुनः जांच से नियंत्रण और कार्य भाग मे १०४७ समस्याये पायी गयी।
२० जून को नियंत्रण और कार्य भाग की सभी समस्याओ को दूर कर दिया गया। २६ अगस्त को अपनी निर्धारीत तिथी से ६ महीने देर से इस यान को प्रक्षेपण के लिये लांच पैड पर खडा कर दिया गया।
दो महीनो की कडी जांच के बाद ६ नवंबर को राकेट मे इंधन भरना शुरु हुआ। इंधन मे द्रव आक्सीजन, द्रव हायड्रोजन और शुद्ध किया हुआ केरोसीन था।
३४० लाख न्युटन बल के धक्के के साथ केनेडी अंतरिक्ष केन्द्र को हिलाते हुये राकेट उड चला। विज्ञानीयो को आशंका थी कि प्रक्षेपण के समय राकेट मे विस्फोट हो सकता था है इसलिये लांचपैड निर्माण केन्द्र से ४ मील की दूरी पर बनाया गया था। लेकिन प्रक्षेपण के धक्के से ही निर्माण कक्ष की छतो मे दरारे आ गयी और कुछ जगह की छत गीर भी गयी।
सफलता की उडान
उडान सफल रही और सैटर्न राकेट ने S-IVB और CSM को १८५ किमी की कक्षा मे स्थापित कर दिया। पृथ्वी की दो परिक्रमा के बाद S-IVB को दूबारा दागा गया और उसे १७,००० किमी की दिर्घ वृताकार कक्षा मे स्थापित कर दिया गया। इसके बाद CSM को दागा गया और कक्षा १८,००० किमी पर स्थापित हो गयी। अंत मे एक बार और इसे दागकर इसे ४०,००० किमी प्रति घंटा की गति से पृथ्वी के वातावरण मे लाया गया।
यान निर्धारित स्थल से १६ किमी दूरी पर उतरा लेकिन अभियान सफल था।
इस यान की उडान का विडीयो स्टार ट्रेक के एक एपीसोड(Assignment: Earth) मे दिखाया गया है। यह यान आज भी केनेडी अंतरिक्ष केन्द्र मे रखा हुआ है।