ये क्या हो रहा है ? क्या किसी जलधारा मे दो भंवरो का मिलन है ?
ये मिलन ही है लेकिन जमीं पर नही आकाश मे, दो सितारों का नही दो आकाशगंगाओ का!
आज से खरबो वर्ष बाद सिर्फ इनमे से एक ही आकाशगंगा बचेगी। तब तक दोनो पेंचदार(Spiral) आकाशगंगाये NGC 2207 और IC 2163 धीरे धीरे एक दूसरे को खिंचते हुये, पदार्थ की लहरे , गैस की चादर और धूल की गलियां , तारे और बाहर फेंके जाने वाले तारो की धाराओ का निर्माण करेंगी। विज्ञानीयो का अनुमान है कि बडी आकाशगंगा NGC 2207 जो बायें दिखायी दे रही है छोटी आकाशगंगा IC 2163 को अपने मे समाहित कर लेगी।
यह घटना आज से ४०० लाख वर्ष पहले घटना शुरु हुयी थी, इसमे छोटी आकाशगंगा बडी आकाशगंगा के चारो ओर चक्कर लगाते हुये उसमे समाहीत होते जा रही है। इन आकाशगंगाओ के टकराव मे तारो का टकराव सामान्यतः नही होता क्योंकि आकाशगंगा मे तारो के बीच काफी खाली जगह होती है।
चुहो का महायुद्ध
दो महाकाय आकाशगंगाये एक दूसरे को खिंच रही है। इन्हे चुहा इसलिये कहा गया है क्योंकि इनकी लंबी पुंछ है। ये पेंचदार आकाशगंगाये शायद एक दूसरे के पास से गुजर चुकी है। शायद इन दोनो का भविष्य मे फिर से टकराव होगा और ये सीलसीला चलता रहेगा जब तक ये दोनो मिल कर एक आकाशगंगा नही बना लेती। इनकी लम्बी पुंछ का निर्माण दोनो आकाशगंगा के पास और दूर के हिस्सो के बीच सापेक्ष गुरुत्वाकर्षण बल के अंतर के कारण हुआ है।
दोनो आकाशगंगा के मध्य दूरी काफी ज्यादा होने से इनके बीच ब्रम्हांडिय टकराव की प्रक्रिया धीमी गति से हो रही है। यह लगभग पिछले लाखो वर्षो से जारी है। ये आकाश गंगाये NGC 4676 हमसे ३००० प्रकाशवर्ष दूरी पर है,