सामान्यत: तारे अकेले ना होकर एक समुह(Cluster) मे रहते है। तारासमुह दो तरह के होते है खुले हुये और गोलाकार ।
खुले हुये तारासमुह
ये कभी कभी आकाशगंगीय तारा समुह भी कहलाते है क्योंकि ये तारासमुह तुलनात्मक दृष्टी से हमारे करीब तो है ही और वे हमारी आकाशगंगा मंदाकीनी मे हमारे प्रतल मे ही है। खुले तारासमुहो मे कुछ दर्जन तारो से लेकर कुछ सौ तारे हो सकते है। ये माना जाता है कि ये सभी तारे एक ही निहारिका से निर्मित है और समान सापेक्ष गति रखते है। इसी वजह से एक समुह के तारे विभीन्न दिशाओ मे गति करते हुये तारासमुह को छितराते जाते है। ये तारासमुह नष्ट भी हो सकते है लेकिन ऐसा तभी हो सकता है जब कोई महाकाय तारा तारासमुह के पास से गुजरे और अपनी गुरुत्वाकर्षण शक्ति से विभीन्न तारो की गति को प्रभावित कर दे।
कुछ तारा समुह मे कुछ तारे बाकी तारो की बजाय ज्यादा प्रकट होते है, ये उस तारे की चमक या स्थिती से भी हो सकता है। चित्र मे दिखाया गया तारासमुह “कृतिका नक्षत्र” है जिसे पश्चिम मे “सात बहने Seven Sisters” या Pleiades कहते है। यह तारा समुह प्रागऐतिहासिक समय(७०० -१००० BC) से ज्ञात है। इसे वैज्ञानिक शब्दावली मे M45 कहते है, यह लगभग ४४० प्रकाशवर्ष दूर है। इस तारासमुह के ७ तारे नंगी आंखो से दिखायी देते है लेकिन दूरबीन से इसके १४ तारे देखे जा सकते है। लेकिन ये इस तारासमुह के सबसे ज्यादा चमकिले तारे है, असलियत मे इस तारासमुह मे ५०० से ज्यादा तारे है।
एक नये खुले तारासमुह मे तारो के बीच मे अपने मातृ निहारिका का बचा हुआ पदार्थ होता है। जो धीरे धीरे तारो के विकीरण , गुरुत्व के कारण नष्ट हो जाता है। लेकिन कृतिका के मामले मे ऐसा नही है, इस तारा समुह के बीच मे जो पदार्थ दिखायी देता है वह किसी और निहारीका है।
कृतिका(M40/Pleiades/Seven Sisters) तारासमुह
गोलाकार तारासमुह(Globular Star Cluster)
ये तारासमुह खुले तारासमुह से काफी अलग होते है। हमारी आकाशगंगा मंदाकिनी के केन्द्र मे इस तरह का एक भी तारासमुह नही है, सभी गोलाकार तारासमुह हमारी आकाशगंगा के बाहरी हिस्से मे ही है। मंदाकिनी मे १५० ज्ञात गोलाकार तारासमुह है। अन्य आकाशगंगाओ मे गोलाकार तारासमुह हो सकते है लेकिन जरूरी नही है। ऐण्ड्रोमीडा आकाशगंगा (M31) मे ऐसे हजारो तारासमुह है। जबकि वामन आकाशगंगा धनु(Sagittarius) मे एक भी गोलाकार तारासमुह नही है।
गोलाकार तारासमुह M80
नाम के अनुसार गोलाकार तारासमुह एक गेंद की तरह गोल होते है जबकि खुले तारासमुह मातृ निहारिका के आकार मे ही होते है। गोलाकार तारासमुह मे हजारो ,लाखो तारे हो सकते है।
गोलाकार तारासमुह ब्रम्हाण्ड निर्माण के समय बने सबसे पहले पिण्ड मे से एक है और ये आज अरबो वर्ष बाद भी है। हमारी आकाश गंगा के गोलाकार तारासमुह की आयु कम से कम ११.३ अरब वर्ष है। इससे हमे ब्रम्हांड की आयु ज्ञात करने मे भी सहायता मिलती है। ब्रम्हांड की आयु किसी तारे की आयु से कम नही हो सकती ।
अधिकतर गोलाकार तारासमुह तारो से बनी एक विशालकाय गेंद के आकार मे है, लेकिन इनके आकार मे अंतर है। यदि हमारा सुर्य कीसी गोलाकार तारासमुह का भाग होता तब रात कभी नही होती !