लेकिन मानक प्रतिकृति मूलभूत बलो के लिए सम्पूर्ण सिद्धांत नही है क्योंकि यह सिद्धांत सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत जैसे गुरुत्वाकर्षण तथा श्याम ऊर्जा का समावेश नही करता है। इस सिद्धांत मे ब्रम्हांड मे निरिक्षित श्याम पदार्थ कणोका समावेश नही है। यह सिद्धांत न्युट्रीनो के दोलन तथा उनके द्रव्यमान के रहस्य को सुलझाने मे असमर्थ है। यह सिद्धांत सैद्धांतिक रूप से सुसंगत है, इसमे विरोधाभास नही है लेकिन इसके कुछ गुणधर्म आसामान्य है जो मजबूत CP समस्या(Strong CP Problem) तथा वर्गीकरण समस्या(hierarchy problem) उत्पन्न करते है।
अपनी इन कमीयों के बावजूद यह माडेल(प्रतिकृति) सैद्धांतिक तथा प्रायोगिक रूप से महत्वपूर्ण है। सैद्धांतिक वैज्ञानिको के लिए मानक प्रतिकृति क्वांटम फ़ील्ड सिद्धांत का एक प्रतिमान है जो विभिन्न भौतिक प्रक्रियाये जैसे सहम सममीती विखंडन(Spontaneous Symmetry Breaking), असंगति की व्याख्या करता है। इस प्रतिकृति के आधार पर कल्पित कणो(Hypothetical Particle), अतिरिक्त आयामो(Extra Dimension) तथा महा सममीती(Supersymmetry) को समावेश करने वाले असाधारण प्रतिकृति(Exotic Model) के निर्माण का प्रयास किया जा रहा है। यह असाधारण प्रतिकृति निरिक्षित परिणामो जैसे श्याम ऊर्जा तथा न्युट्रीनो के दोलन(Neutrino oscillations) की व्याख्या करने मे समर्थ होगा।
पिछले लेखो मे हम देख चूके है कि इस मानक प्रतिकृति के पिछे १९६० मे शेल्डन ग्लाशो की विद्युत चुंबक और कमजोर नाभिकिय बल को एकीकृत करने वाली खोज रही है। १९६७ मे स्टीवन वेनबर्ग तथा अब्दूस सलाम ने ग्लासो के इलेक्ट्रोवीक सिद्धांत(विद्युत-चुंबक-कमजोर नाभिकिय बल एकीकृत सिद्धांत) मे हीग्स मेकेनिज्म को जोडा और यह मानक प्रतिकृती(Standard Model) आस्तित्व मे आयी।
मानक प्रतिकृति मे हीग्स मेकेनिज्म सभी मूलभूत कणो को द्रव्यमान प्रदान करता है। इसमे W तथा Z बोसान के अतिरिक्त सभी फर्मीआन (क्वार्क तथा लेप्टान) का भी समावेश है।
१९७३-७४ मे जब प्रयोगो के अनुसार यह प्रमाणित हो गया की हेड्रान आंशिक रूप से आवेशित क्वार्क से बने होते है ,इस सिद्धांत मे मजबूत नाभिकिय बल का भी समावेश कर दिया गया।
वर्तमान मे पदार्थ और ऊर्जा की व्याख्या मूलभूत कण तथा उनकी पारस्पतिक प्रतिक्रिया के रूप मे आसानी से की जा सकती है। वर्तमान मे भौतिकी के नियम जो पदार्थ की सभी अवस्था और ऊर्जा को निंयंत्रित करते है, कम हो कर कुछ मूलभूत नियमो तथा सिद्धांतों मे सीमटकर रह गये है। भौतिकी का मुख्य लक्ष्य एक ऐसे सिद्धांत की खोज है जो इन सभी सिद्धांतो का एकीकरण कर एक सम्पूर्ण सिद्धांत के रूप मे हर पदार्थ और ऊर्जा की व्याख्या कर सके। मानक प्रतिकृति मुख्यत: क्वांटम इलेक्ट्रोवीक तथा क्वांटम क्रोमोडायनेमिक्स का समावेश करता है जो आंतरिक रूप से हर ज्ञात मूलभूत कण और उनके पारस्परिक प्रतिक्रियांओ की व्याख्या करता है।
मानक प्रतिकृति मे मूलभूत कणो कणो को दो वर्गो मे बांटा गया है
- १. पदार्थ का निर्माण करने वाले फर्मीयान
- २.बलो का वहन करने वाले बोसान
फर्मीयान
मानक प्रतिकृति(Standard Model) मे १/२ स्पिन के १२ मूलभूत कण है जिसे फर्मियान(fermions) कहते है। स्पिन-सांख्यकि प्रमेय(spin-statistics theorem) के अनुसार फर्मियान पाली व्यतिरेक सिद्धांत(Pauli exclusion principle) का पालन करते है। हर फर्मियान(कण) का एक प्रतिकण होता है।
मानक प्रतिक्रुति के कणो का वर्गीकरण उनके आवेश के अनुसार किया गया है। इसमे छः क्वार्क (अप, डाउन,चार्म, स्ट्रेंज, टाप, बाटम) तथा छः लेप्टान (इलेक्ट्रान, इलेक्ट्रान न्युट्रीनो, म्युआन,म्युआन न्युट्रीनो,टाउ, टाउ न्युट्रीनो) का समावेश है। हर वर्ग के कण युग्मो को एक साथ एक समूह मे रखा गया है जिसे पिढी़ कहते है। हर पिढ़ी मे एक जैसे व्यव्हार करने वाले कणो का समावेश है। सारणी देखें।
फर्मीयान का संगठन | |||||||
आवेश | पहली पीढी़ | दूसरी पिढी़ | तीसरी पिढी़ | ||||
क्वार्क | +2⁄3 | अप | u | चार्म | c | टाप | t |
−1⁄3 | डाउन | d | स्ट्रेन्ज | s | बाटम | b | |
लेप्टान | −1 | इलेक्ट्रान | e− | म्युआन | μ− | टाउ | τ− |
0 | इलेक्ट्रान न्युट्रीनो | ν e | म्युआन न्युट्रीनो | ν μ | टाउ न्युट्रीनो | ν τ |
क्वार्क को परिभाषित करने वाला गुणधर्म उनके द्वारा रंगीन आवेश का वहन है और वे मजबूत नाभिकिय बल द्वारा प्रतिक्रिया करते है। एक गुणधर्म रंग बंधन(color confinement) उन्हे निरंतर रूप से एक दूसरे से बांधे रखता है, जिससे रंगहीन(या सफेद) कण का निर्माण होता है। इन रंगहीन कणो मे एक क्वार्क तथा एक प्रतिक्वार्क(मेसान) से बने हेड्रान(hadrons) कण या तीन क्वार्क से बने बायरान(baryons) कण होते है। प्रोटान और न्युट्रान दो सबसे ज्यादा जाने पहचाने सबसे कम द्रव्यमान वाले बायरान कण है। क्वार्क विद्युत आवेश तथा कमजोर समभारिक स्पिन वाले कण है, इस कारण क्वार्क अन्य फर्मीयान कणो से विद्युत चुंबकिय बल से तथा कमजोर नाभिकिय बल से प्रतिक्रिया करते है।
शेष: छः फर्मीयान कणो का रंग नही होता है और उन्हे लेप्टान कहते है। तीन न्युट्रीनो कण मे विद्युत आवेश भी नही होता है, जिससे उनकी जांच कमजोर नाभिकिय बल से ही की जा सकती है और इससे उन्हे जांच कर पाना अत्यंत कठीन हो जाता है। अन्य विद्युत आवेशीत लेप्टान (इलेक्ट्रान, म्युआन तथा टाउ) विद्युतचुंबकिय बल से प्रतिक्रिया करते है।
एक पिढी़ का कण अपनी निचली पिढी़ के संबधित कण से ज्यादा द्रव्यमान रखता है। पहली पिढ़ी के कणो का क्षय नही होता है इसलिये समस्त साधारण पदार्थ(बायरानीक) पहली पिढी़ के कणो से बना होता है। विशेषत: सभी परमाणु इलेक्ट्रान तथा अप-डाउन क्वार्क से बने नाभिक से निर्मित है। दूसरी तथा तीसरी पिढी के आवेशित कण की अर्ध आयु कम होती है और उनका क्षय कम समय मे होता है, इन्हे अत्यंत उच्च ऊर्जा वाले वातावरण मे ही देखा जा सकता है। सभी पिढी़यो के न्युट्रीनो का भी क्षय नही होता है, ये ब्रम्हांड मे व्याप्त है लेकिन साधारण पदार्थ अर्थात बायरानीक पदार्थ से कोई प्रतिक्रिया नही करते है।
गाज बोसान
मानक प्रतिकृति मे गाज बोसान मजबूत नाभिकिय बल, कमजोर नाभिकिय बल तथा विद्युत चुंबक बल का वहन करने वाले बल वाहक कणो के रूप मे जाने जाते है।
भौतिकी मे बल का अर्थ एक कण द्वारा दूसरे कण पर डाला गया प्रभाव है। बड़े पैमाने पर विद्युत-चुंबक बल के कारण कण दूसरे कणो से विद्युत तथा चुंबकिय क्षेत्र के द्वारा प्रतिक्रिया करते है, जबकि आइंन्सटाईन की साधारण सापेक्षतावाद के सिद्धांत के अनुसार ग्रेवीटान द्रव्यमान रखने वाले कणो के पारस्परिक आकर्षण के लिये उत्तरदायी है। मानक प्रतिक्रिया के अनुसार मूलभूत बल पदार्थ कणो के मध्य बलवाहक कणो के आदानप्रदान का परिणाम है। जब एक बल वाहक कण का आदानप्रदान होता है, बड़े पैमाने पर परिणाम किसी बल द्वारा उनदोनो को प्रभावित करने के जैसे होता है। सभी पदार्थ कणो के जैसे बल वाहक कणो का स्पिन होता है। बल वाहक कणो का स्पिन १ है, जिससे सभी बल बोसान के अंतर्गत आते है। बोसान पाली के व्यतिरेक सिद्धांत का पालन नही करते है, इस कारण बलवाहक कणो के घनत्व की कोई सीमा नही है। विभिन्न तरह के बोसान निन्नलिखित है:
- फोटान : यह विद्युतचुंबक बल का वाहक कण है और विद्युत आवेशीत कणो के मध्य आदान प्रदान होता है। इसका द्रव्यमान नही है और क्वांटम इलेक्ट्रोडायनेमिक्स द्वारा इसकी पूर्ण तरीके से व्याख्या संभव है।
- W+, W− तथा Z गाज बोसान: यह भिन्न तरह के कणो(क्वार्क और लेप्टान) के मध्य कमजोर नाभिकिय बलो के लिए उत्तरदायी है। ये कण भारी होते है, Z बोसान W± बोसान से ज्यादा भारी है।W± बलवाहक कण से उत्पन्न कमजोर नाभिकिय बल सिर्फ वामहस्त कणो तथा दाएहस्त प्रतिकणो पर प्रभावी है। W± बोसान +1 तथा −1 का विद्युत आवेश रखता है तथा विद्युतचुंबकिय बल भी उत्पन्न करता है। विद्युत आवेश रहित Z बोसान वाम हस्त कण तथा प्रतिकण से क्रिया कररा है। ये तीनो गाज बोसान फोटान के साथ एक की वर्ग मे रखे जाते है, इनके फलस्वरूप संयुक्त रूप से इलेक्ट्रोवीक बल उत्पन्न होता है।
- आठ ग्लूआन द्वारा रंगीन आवेशित कणो के मध्य मजबूत नाभिकिय बल उत्पन्न होता है। इन कणो का द्रव्यमान नही होता है। ग्लूआन का रंग होता है इसलिए ये खुद से जूड़कर अस्थायी ग्लूबाल भी बना सकते है। ग्लूआन और उनके व्यव्हार की व्याख्या क्वांटम क्रोमोडायनेमीक्स से की जाती है।
हिग्स बोसान
यह एक परिकल्पित कण है, इसे प्रयोगशाला मे अब तक देखा नही गया है। यह एक भारी कण है और इसकी परिकल्पना राबर्त ब्राउट, फ्रैंकोइस एन्गलेर्ट, पीटर हिग्स, गेराल्ड गुराल्निक, सी आर हेगन तथा टाम कीब्ल ने १९६४ मे सममिती विखंण्डन के शोधपत्र मे की था। यह मानक प्रतिकृति के सिद्धांत के आधार स्तंभो मे से एक है। इस कण की स्पिन पुर्णांक मे है जिससे इसे बोसान माना जाता है। इसे देखे जाने के लिये कण त्वरक की ऊर्जा बहुत ज्यादा होना चाहिये इसलिए अभी तक इसे देखा नही जा सका है।
हिग्स बोसान मानक प्रतिकृति के लिये महत्वपूर्ण है, यह फोटान और ग्लूआन के अतिरिक्त अन्य कणो के द्रव्यमान की व्याख्या करता है। यह कण व्याख्या करता है कि क्यों फोटान का द्रव्यमान नही है जबकि W तथा Z बोसान बहुत भारी है। मूलभूत कणो का द्रव्यमान, उनके मध्य फोटान के आदान प्रदान द्वारा उत्पन्न विद्युत-चुंबक बल के मध्य अंतर तथा W तथा Z बोसान द्वारा उत्पन्न कमजोर नाभिकिय बल परमाणु की संरचना के लिये महत्वपूर्ण है। इलेक्ट्रोवीक सिद्धांत के अनुसार हिग्स बोसान लेप्टान(इलेक्ट्रान , म्युआन,टाउ) तथा क्वार्क के द्रव्यमान के लिये उत्तरदायी है।
अभी तक इस कण को देखा नही जा सका है लेकिन CERN के लार्ज हेड्रान कोलाइडर से इस कण की खोज की आशा है।