Tuesday, January 31, 2012

स्ट्रींग सिद्धांत: श्याम विवर


साधारण सापेक्षतावाद के सिद्धांत(Theory of general relativity) के अनुसार अत्याधिक गुरुत्वाकर्षण के फलस्वरूप “श्याम विवर (Black Hole) का निर्माण होता है। इसके समीकरणो के अनुसार श्याम विवर के कई प्रकार होते है लेकिन सभी के कुछ समान गुण धर्म होते है। श्याम वीवर के आसपास एक विशेष क्षेत्र होता है जिसे घटना-क्षितिज (Event Horizon) कहते है और वह श्याम विवर को शेष विश्व से अलग करता है। श्याम वीवर का गुरुत्वाकर्षण इतना ज्यादा होता है कि प्रकाश समेत कोई भी पिंड घटना-क्षितिज की सीमा पारकरने के पश्चात श्याम विवर के गुरुत्वाकर्षण से बच नही सकता है। इस सिद्धांत के श्याम विवर की कोई विशेषता नही होती है, लेकिन उनकी व्याख्या कुछ निरीक्षण कीये जा सकने वाले कारको जैसे द्रव्यमान(mass),  आवेश(charge) तथा कोणीय संवेग (Angular momentum) से की जा सकती है।

स्ट्रींग सिद्धांत मे श्याम विवर
स्ट्रींग सिद्धांत मे श्याम विवर
श्याम विवर स्ट्रींग सिद्धांत की जांच करने के लिये विशेष “प्रयोगशाला” है, क्योंकि क्वांटम गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव श्याम विवर जैसे विशालकाय छिद्र के लिये भी महत्वपूर्ण है। श्याम विवर सही अर्थो मे श्याम नही होते है क्योंकि उनसे भी विकिरण उत्सर्जित होता है, जिसे हाकींग विकिरण(Hawking Radiation) कहते है और यह उत्सर्जन घटना-क्षितिज के समीप के क्षेत्र मे होता है। स्ट्रींग सिद्धांत क्वांटम-गुरुत्व (quantum gravity) का समावेश करता है, जिससे इस सिद्धांत द्वारा श्याम विवर की भी व्याख्या संभव होना चाहीये। स्ट्रींग गति के समीकरणो के कुछ हल श्याम विवर हल की व्याख्या भी करते हैं।गति के ये समीकरण साधारण सापेक्षतावाद के समीकरणो के जैसे ही है लेकिन इनमे कुछ अतिरिक्त कारक है जो स्ट्रींग सिद्धांत से आते है। सुपरस्ट्रींग सिद्धांत के अनुसार कुछ श्याम विवर महासममीतीक भी होते है।
स्ट्रींग सिद्धांत के कुछ नाटकीय परिणामो मे श्याम विवर के लिये बेकेन्सटाइन-हाकींग एन्ट्रापी सूत्र(Bekenstein-Hawking entropy formula ) की व्युत्पत्ति है जोकि श्याम विवर का निर्माण करने वाली अत्यंत सूक्ष्म स्ट्रींग अवस्थाओं की गणना से प्राप्त है। बेकेन्सटाइन के अनुसार श्याम विवर के क्षेत्रफल नियम का पालन करते हैं जिसके अनुसार dM=K dA
A = घटना क्षितिज का क्षेत्रफल
K = अनुपात का स्थिरांक
M = श्याम विवर का द्रव्यमान
स्ट्रींग सिद्धांत और श्याम विवर संबंध
स्ट्रींग सिद्धांत और श्याम विवर संबंध
श्याम विवर का कुल द्रव्यमान ‘M’ स्थिर ऊर्जा(energy at rest) है, बेकेन्सटाइन के अनुसार यह उष्मा-गतिकी(Thermodynamics) के एन्ट्रापी के नियम dE= T dS के जैसे ही है। स्टीफ़न हाकींग ने सिद्ध किया कि श्याम विवर के तापमान की गणना T=4k से की जा सकती है। [k एक सतह के गुरुत्व का स्थिरांक है।] अर्थात किसी श्याम विवर की एन्ट्रापी को S=A/4 के रूप मे लिखा जा सकता है।एण्ड्र्यु स्ट्रीमींगर (Andrew Strominger)  तथाक्युमरीन वाफा(Cumrin Vafa)ने सिद्ध किया कि एन्ट्रापी के शुद्ध सूत्र की व्युत्पत्ति स्ट्रींग और D-ब्रेन के विन्यास की क्वांटम अवस्थाओं के ह्रास की गणना से की जा सकती है। यह व्युत्पत्ति स्ट्रींग सिद्धांत के श्याम विवर की व्याख्या करती है। यह एक अकाट्य प्रमाण था कि D-ब्रेन के द्वारा श्याम विवर के लघु दूरी युग्मन की व्याख्या संभव है। एण्ड्र्यु स्ट्रीमींगर तथा क्युमरीन वाफा द्वारा अध्ययन किये गये श्याम विवर को 5-ब्रेन, 1-ब्रेन तथा 1-ब्रेन तक गतिमान खुली स्ट्रींग और इन सभी को समाविष्ट करने वाले टारस(Torus) से समझा जा सकता है, जिससे प्रभावी एक आयामी पिंड प्राप्त होता है। यही स्ट्रींग सिद्धांत मे श्याम विवर है।
इन्ही परिस्थितियों द्वारा हाकींग विकिरण की भी व्याख्या होती है, लेकिन इसके लिये दोनो दिशाओ मे गतिमान खुली स्ट्रींग की आवश्यकता होती है। इन खुली स्ट्रींग की आपसी प्रतिक्रिया से निर्मित बंद स्ट्रींग के रूप मे विकिरण का उत्सर्जन होता है।
हाकींग विकिरण
हाकींग विकिरण
कुछ विशेष महासममीतीक श्याम विवरो के लिये सुस्पष्ट गणनायें दर्शाती हैं कि स्ट्रींग सिद्धांत के परिणाम क्वांटम सिद्धांत तथा सापेक्षतावाद के परिणामो से मेल खाते है। इससे यह प्रमाणित होता है कि स्ट्रींग सिद्धांत क्वांटम गुरुत्व के लिये एक मूलभूत सिद्धांत है।
अगले तथा अंतिम भाग मे स्ट्रींग सिद्धांत की आलोचना!